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मेरी जीवनगाथा
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पहुँचते तब आप आदरपूर्वक उन्हें अपने स्थानपर बैठाते थे। पण्डितजी महाराज जब यह कहते कि आप हमारे मालिक हैं अतः दुकानपर यह व्यवहार योग्य नहीं, तब सेठजी साहब उत्तर देते कि 'महाराज ! यह तो पुण्योदयकी देन है परन्तु आपके द्वारा वह लक्ष्मी मिल सकती है जिसका कभी नाश नहीं। आपकी सौम्य मुद्रा और सदाचारको देखकर बिना ही उपदेशके जीवोंका कल्याण हो जाता है। हम तो आपके द्वारा उस मार्गपर हैं जो आजतक नहीं पाया। इस प्रकार सेठजी और पण्डितजीका परस्पर सदव्यवहार था। कहाँ तक उनका शिष्टाचार लिखा जावे ? पण्डितजीकी सम्मतिके बिना कोई भी धार्मिक कार्य सेठजी नहीं करते थे। जो जयपुरमें मेला हुआ था वह पण्डितजीकी सम्मतिसे ही हुआ था।
___मेला इतना भव्य था कि मैंने अपनी पर्यायमें वैसा अन्यत्र नहीं देखा। उस मेलामें श्रीमान् स्वर्गीय पण्डित पन्नालालजी न्यायदिवाकर, श्रीमान् स्वर्गीय पण्डित गोपालदासजी वरैया तथा श्रीमान् स्वर्गीय पण्डित प्यारेलालजी अलीगढ़वाले आदि विद्वानोंका तथा सेठोंमें प्रमुख सेठ जो आज विद्यमान हैं तथा श्रीमान् स्वर्गीय उग्रसेनजी रईस, उनके भ्राता श्रीस्वरूपचन्द्रजी रईस, श्रीमान् लाला जम्बूप्रसादजी रईस सहारनपुरवाले, श्री चौधरी झुन्नामल्लजी दिल्ली आदि अनेक महाशय एवं बुन्देलखण्ड प्रान्तके श्रीमन्त स्वर्गीय मोहनलालजी साहब खुरई, जबलपुरके महाशय सिंघई गरीबदासजी साहब तथा श्रीमन्त स्वर्गीय गुपाली साहु आदि प्रमुख व्यक्तियोंका सद्भाव था। श्री शिवलालजी भोजक तथा ताण्डवनृत्य करनेवाले श्री सिंघई धर्मदासजी आदि भी प्रस्तुत थे। वे ऐसे गवैया थे कि जिनके गानका श्रवणकर मनुष्य मुग्ध हो जाता था। जब वह भगवान्के गुणोंका वर्णनकर अदा दिखाते थे तो दर्शकोंको ऐसा मालूम होता था कि वह भगवान्को हृदयमें ही धारण किये हों। कहनेका तात्पर्य यह है कि इस मेले में अनेक भव्य लोगोंने पुण्यबन्ध किया था।
___ मेलामें श्रीमहाराजाधिराज जयपुर नरेश भी पधारे थे। आपने मेला की सुन्दरता देख बहुत ही प्रसन्नता व्यक्त की थी। तथा श्रीजिनबिंबको देखकर स्पष्ट शब्दोंमें यह कहा था कि-'शुभ ध्यानकी मुद्रा तो इससे उत्तम संसारमें नहीं हो सकती। जिसे आत्मकल्याण करना हो वह इस प्रकारकी मुद्रा बनानेका प्रयत्न करे। इस मुद्रामें बाह्याडम्बर छू भी नहीं गया है। साथ ही इसकी सौम्यता भी इतनी अधिक है कि इसे देखते ही निश्चय हो जाता है कि जिनकी यह मुद्रा है उनके अन्तरंगमें कोई कलुषता नहीं थी। मैं यही भावना भाता हूँ कि मैं भी इसी पदको प्राप्त होऊँ। इस मुद्राके देखनेसे जब
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