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मेरी जीवनगाथा
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भगवान का नाम लिखा हुआ है, जिससे यात्रियों को वन्दना करने में कठिनाई नहीं जाती। पर्वत के मध्य में श्री चन्द्रप्रभ स्वामी का महान् मन्दिर बना हुआ है। इसका चौक बड़ा ही विस्तृत है। उसमें पाँच हजार मनुष्य सुखपूर्वक बैठ सकते हैं। मन्दिर के बाहर बड़ा भारी चबूतरा है और इसके बीच में उत्तुंग मानस्तम्भ बना हुआ है। उसमें मार्वलका फर्श लगाने के लिये एक प्रसिद्ध सेठने पचास हजार रुपया दिये हैं। यहाँ पर्वतपर बहुत ही स्वच्छता है। इसका श्रेय श्री गप्पूलाल जी लश्कर वालों को है। श्रीमान सेठ बैजनाथजी सरावगी कलकत्तावालों ने क्षेत्र के जीर्णोद्धार में बहुत-सी सहायता स्वयं की है और अन्य धर्मात्मा बन्धुओं से कराई है। आप विलक्षण प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं। स्वयं वृद्ध हैं, परन्तु युवकोंसे अधिक परिश्रम करते हैं। किसी प्रकार जैन धर्म की उन्नति हो, इसकी निरन्तर चिन्ता बनी रहती है। प्रतिदिन जिनेन्द्रदेव की अर्चा करते हैं तथा दूसरों को भी जिनेन्द्र भगवान् की अर्चा करने की प्रेरणा करते हैं। जिस प्रान्त में जाते हैं वहाँ जो भी संस्था होती है उसे पुष्ट करने के अर्थ स्वयं दान देते हैं तथा अन्य बन्धुओंसे प्रेरणा कर संस्थाको स्थायी बनाने का प्रयत्न करते हैं। पर्वत पर आपके द्वारा बहुत कुछ सुधार हुआ है। इस समय सोनागिरि में भट्टारक श्री हरीन्द्रभूषण जी के शिष्य भट्टारक हैं। यहाँ पर कई धर्मशालाएँ हैं। जिनमें एक साथ पाँच हजार यात्री ठहर सकते हैं।
यहाँ पर एक पाठशाला भी है, परन्तु उस ओर समाज का विशेष लक्ष्य नहीं। पाठशाला से क्षेत्र की शोभा है। क्षेत्र कमेटी को पाठशाला की उन्नति में पूरा सहयोग देना चाहिये। समाज तथा देश का उत्थान शिक्षा से ही हो सकता है। क्षेत्र पर आनेवाले बन्धुओं का कर्तव्य है कि वे पाठशाला की ओर विशेष ध्यान दें। शिक्षा से मानव में पूर्ण मानवता का विकास होता है। समाज यदि चाहे तो पाठशाला को चिन्तामुक्त कर सकती है। आज कल पन्द्रह छात्र हैं। श्री रतनलाल जी पाटनी जिस किसी प्रकार संस्थाको चला रहे हैं। उनका प्रयत्न सराहनीय है। श्री स्वर्णगिरिके दर्शन कर आत्माको अत्यन्त आनन्द प्राप्त हुआ।
चैत सुदी ५ सं० २००५ का दिन था, आज प्रातः काल श्री लश्करके मन्दिर में प्रवचन हुआ। शंका समाधान भी हुआ। परन्तु अधिकांश में कुतर्कसे अधिकतर समाधान और शंकायें की जाती हैं। जो हो, सबसे विशिष्ट आज जो बात हुई वह यह है-आज श्री क्षुल्लक क्षेमसागरजी महाराज झाँसी से आये। आपने कहा कि मैं आपके साथ नियम से सोनागिरि क्षेत्र आता। परन्तु आपके
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