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मेरी जीवनगाथा
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जहाँ मैं ठहरा था उनके भाई कालूरामजी मोदी थे, जो बहुत ही सम्पन्न थे। उनसे मेरा विशेष प्रेम हो गया। वह निरन्तर मेरे पास आने लगे। यहाँ पर बाबू रामचन्द्रजी बहुत ही सुयोग्य हैं। मन्दिरका हिसाब आपके ही पास रहता है। लोगोकी बड़ी शक थी। उनसे मैंने कहा कि 'मन्दिरका हिसाब कर देना आपकी सन्तानको लाभदायक होगा। आपने एक मासके अन्दर हिसाब दे दिया। लोगोंकी शंका दूर हो गई। आपकी कीर्ति उज्ज्वल हो गई। मदन बाबू बहुत प्रसन्न हुए। श्रीरामचन्द्र बाबू भी बहुत ही प्रसन्न हुए। आपके भतीजे जग्गू भाई बहुत ही योग्य व्यक्ति थे। पर अब न मदन बाबू हैं और न जग्गू बाबू । दोनों ही स्वर्गधाम सिधार चुके हैं। आपके वियोग से श्रीरामचन्द्र बाबूको बहुत कुछ वेदना हुई, परन्तु संसारका यही स्वभाव है।
यहाँ श्रीमोदी कालूरामजीके भ्राता बालचन्द्रजी बहुत सुयोग्य तथा विचारक व्यक्ति हैं। आप हिन्दी भाषाके उत्तम लेखक हैं। आपने एक मारवाड़ी इतिहास बड़े प्रयत्नसे लिखा है। उसमें मारवाड़ियोंके उत्थान और पतनका अच्छा दिग्दर्शन कराया है।
यहाँ पर स्याद्वाद विद्यालयको अच्छी सहायता प्राप्त हुई। यहाँसे चलकर बराकटमें रहनेका मेरा विचार था, परन्तु भावी बात बड़ी प्रबल होती
सागरकी ओर द्रोणगिरिसे सिंघई वृन्दावनजीने हीरालाल पुजारीको भेजा। उसने जो-जो प्रयत्न किये वह हमारे बुन्देलखण्ड प्रान्तमें आनेके लिए सफल हुए। हीरालालने कहा कि 'अब तो देशका मार्ग लेना चाहिए। मैने कहा-'वह देश अब कुछ करता धरता है नहीं, क्या करें? उसने कहा-'सिंघई वृन्दावनने कहा है कि वर्णीजी जो कुछ कहेंगे, हम करेंगे। मैंने कहा-'अच्छा।' मनमें यह विकल्प तो था ही कि एक बार अवश्य सागर जाकर पाठशालाको चिरस्थायी किया जाय । यही बीज ऐसे पवित्र स्थानसे मेरे पृथक् होनेका हुआ। वास्तवमें शिक्षाप्रचारकी दृष्टिसे बुन्देलखण्ड की स्थिति शोचनीय है। लोग रथ आदि महोत्सवोंमें तो खर्च करते हैं पर इस ओर जरा भी ध्यान नहीं देते। शिक्षाप्रचारकी दृष्टिसे अनेक प्रयत्न हुए, पर अभी तक जितनी चाहिए उतनी सफलता नहीं मिली है। यद्यपि इस दृष्टिसे हमने बुन्देलखण्डमें जाकर वहाँकी स्थिति सुधारनेका विचार किया, पर परमार्थसे देखा जाय तो हमसे बड़ी गलती हुई
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