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शाहपुर विद्यालय
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जुहार करते हैं । इसी समयसे लेकर वह तथा उसका समस्त परिवार आगे चलकर सिंघई शब्दसे प्रख्यात हो जाता है । अन्तमें जब यहाँ भी पञ्चकल्याणक करनेवालेको तिलकदानका अवसर आया तब मैंने श्रीयुत् लोकमणि दाऊसे कहा कि 'इन्हें सिंघई पद दिया जावे। चूँकि सिंघई पद गजरथ चलानेवालेको ही दिया जाता था, अतः उपस्थित जनताने उसका घोर विरोध किया और कहा कि यदि वह मर्यादा तोड़ दी जावेगी तो सैकड़ों सिंघई हो जावेंगे। मैंने कहा—'इस प्रथाको नहीं मिटाना चाहिये, परन्तु जब कल्याणपुरामें पञ्चकल्याणक हुए थे तब वहाँ श्रीमन्त सेठ सोहनलालजी खुरईवाले, श्रीमान् सेठ ब्रजलाल चन्द्रभानु लक्ष्मीचन्द्रजी बमरानावाले, श्रीमान् सेठ टड़ैयाजी ललितपुरवाले तथा श्री चौधरी रामचन्द्रजी टीकमगढ़वाले आदि सहस्रों पञ्च उपस्थित थे । वहाँ यह निर्णय हुआ था कि यदि कोई एक मुस्त पाँच हजार विद्यादानमें दे तो उसे सिंघई पदसे भूषित करना चाहिये । यद्यपि वहाँ भी बहुतसे महानुभावोंने इसका विरोध किया था, परन्तु बहुसम्मति से प्रस्ताव पास हो गया था । अतः यदि हलकूलालजी पाँच हजार रुपया विद्यादानमें दें तो उन्हें यह पद दे दिया जावे। हमारी बात सुनकर सब पञ्चोंने अपना विरोध वापिस ले लिया और उक्त शर्तपर सिंघईपद देनेके लिये राजी हो गये, परन्तु हलकुलाल सहमत नहीं हुए। उनका कहना था कि हम पाँच हजार रुपये नहीं दे सकते। मैंने लोकमन दाऊसे कानमें धीरेसे कहा कि 'देखो ऐसा अवसर फिर न मिलेगा, अतः आप इसे समझा देवें ।' अन्तमें दाऊ उन्हें एकान्तमें ले गये । उन्होंने जिस किसी तरह तीन हजार रुपये तक देना स्वीकार किया। मैंने उपस्थित जनतासे अपील की कि आप लोग यह अच्छी तरह जानते हैं कि परवारसभामें पाँच हजार रुपया देने पर सिंघई पदवीका प्रस्ताव पास किया है। उन्होंने बारह हजार रुपया तो प्रतिष्ठामें व्यय किया है और तीन हजार रुपया विद्यादानमें दे रहे हैं तथा इनके तीन हजार रुपया देनेसे ग्रामवाले भी दो हजार रुपयेकी सहायता अवश्य कर देवेंगे, अतः इन्हें सिंघई पदसे भूषित किया जावे। विवेकसे काम लेना चाहिये । इतने बड़े ग्राममें पाठशाला न होना लज्जाकी बात है। बहुत वाद-विवाद हुआ। प्राचीन पद्धतिवालों ने बहुत विरोध किया । पर अन्त में दो घण्टे बाद प्रस्ताव पास हो गया। उसी समय हलकूलालजीको पंचों ने सिंघई पदकी पगड़ी बाँधी । इस प्रकार श्री लोकमन दाऊकी चतुराईसे शाहपुरा में एक विद्यालयकी स्थापना हो गयी। पंचकल्याणकका उत्सव निर्विघ्न समाप्त हो
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