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मेरी जीवनगाथा
कुत्ता, बिल्ली, गिलहरियोंकी कथा आती है। बालिकाओंका क्या कर्त्तव्य है ? इसके नाते अकार भी नहीं सिखाया जाता माता-पिता यदि धनी हुआ तो कन्याको गहनों से लादकर खिलौना बना देता है । न उसे शरीरको निरोग रखनेकी शिक्षा देता है और न स्त्रीधर्मकी ! यदि गरीब माता-पिता हुए तो कहना ही क्या ? यह सब जहन्नुममें जावे । वरकी तलाशमें भी बहुत असावधानी करते हैं। लड़कीको सोना पहिननेके लिए मिलना चाहिये, चाहे लड़का अनुरूप हो या न हो । विवाहमें हजारों खर्च कर देवेंगे, परन्तु योग्य लड़की बने, इसमें एक पैसा भी खर्च नहीं करेंगे। लड़केवाले भी यही ख्याल रखते हैं कि सोना मिलना चाहिये, चाहे लड़की अनुकूल हो या प्रतिकूल । अस्तु, इस विषयपर विशेष मीमांसा नहीं करना चाहती, क्योंकि सभी लोग अपनी यह भूल स्वीकार करते हैं। मानते भी हैं। परन्तु छोड़ते नहीं । पञ्चोंका कहना शिरमाथे, परन्तु पनाला यहीं रहेगा ।' सबसे जघन्य कार्य तो यह है कि हमारे नवयुवक और युवतियोंने विषय सेवनको दालरोटी समझ रक्खा है । इनके विषय - सेवनका कोई नियम नहीं है। ये न धर्मपर्वोंको मानते हैं और न धर्मशास्त्रोंके नियमको । शास्त्रोंमें लिखा है कि स्त्रीका सेवन अन्नकी तरह करना चाहिये, परन्तु कहते हुए लज्जा आती है कि एक बालक तो दूध पी रहा है, एक स्त्रीके उदरमें है और एक बगलमें बैठा चें-चें कर रहा है। तीन सालमें तीन बच्चे । ऐसा लगता है, मानों स्त्रियाँ बच्चे पैदा करनेकी होड़में लग रही हैं। कोई-कोई तो इतने दुष्ट होते हैं कि बालकके उदरमें रहते हुये भी अपनी पापवासनासे मुक्त नहीं होते। क्या कहूँ ? स्त्रीका राज्य नहीं, नहीं तो एक - एककी खबर लेतीं। फल इसका देखो कि सैकड़ों नर-नारी तपेदिकके शिकार हो रहे हैं । मन्दाग्निके शिकार तो सौमें नब्बे रहते हैं । जहाँपर औषधियोंकी आवश्यकता न पड़ती थी वहाँ अब वैद्यमहाराजकी आवश्यकता होने लगी है। प्रदर रोगकी तो मानो बाढ़ ही आ गई है। धातुशीणता एक सामान्य रोग हो गया है। गजटोंमें सैकड़ों विज्ञापन ऐसे-ऐसे रोगोंके रहते हैं जिन्हें बाँचने में शर्म आती है । अतः यदि जातिका अस्तित्व सुरक्षित रखना चाहती हो तो मेरी बहिनों ! बेटियों ! इस बातकी प्रतिज्ञा करो कि हमारे पेटमें बच्चा आनेके समयसे लेकर जब तक वह तीन वर्षका न होगा तब तक ब्रह्मचर्य व्रत पालेंगी और यही नियम पुरुष वर्गको लेना चाहिये । यदि इसको हास्यमें उड़ा दोगे तो याद रक्खो तुम हास्यके पात्र भी न रहोगे। साथ ही यह भी
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