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मेरी जीवनगाथा
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कहा-'बाईजी ! अस्पताल चलकर दवाई लगवा लीजिये।' बाईजीने निषेध कर दिया कि हम अस्पतालकी दवाका प्रयोग नहीं करेंगे, क्योंकि उसमें वरांडीका जुज रहता है। उन्होंने कण्डेकी राख को छानकर घीमें मन्थन कर लगाया। तीन मासमें अंगुली अच्छी हुई, परन्तु उन्होंने अस्पतालकी दवाईका प्रयोग नहीं किया।
____ कारकल क्षेत्र बहुत ही रम्य और मनोरम है। यहाँ पर श्री भट्टारक महाराजके मठमें ठहर गये। यहीं पर हमारे चिरपरिचित श्री कुमारय्याजी मिल गये। आपने पूर्ण रीतिसे आतिथ्य-सत्कार किया। ताजे नारियलकी गिरी तथा उत्तम चावल आदि सामग्रीसे भोजन कराया। भोजनके बाद हम लोग श्रीगोम्मटस्वामीकी प्रतिमाके, जो कि खड़गासन है, दर्शन करनेके लिये गये। बहुत ही मनोज्ञ मूर्ति है। तीस फुट ऊँची होगी। सुन्दरतामें तो यही भान होता है कि मूडबिद्रीके कारीगिरने ही यह मूर्ति बनाई हो। मनमें यही भाव आता था कि हे प्रभो ! भारतवर्षमें एक समय वह था जब कि ऐसी-ऐसी भव्य मूर्तियोंकी प्रतिष्ठा होती थी। यह काम राजा-महाराजोंका था। आज तो जैनधर्मके राजा न होनेसे धर्मायतनोंकी रक्षा करना कठिन हो रहा है। यहीं पर मठके सामने छोटी-सी टेकरी पर एक विशाल मन्दिर है, जिसमें वेदीके चारों तरफ सुन्दर-सुन्दर मनोहारी बिम्ब है। इसके अनन्तर एक मन्दिर सरोवरमें है। उसके दर्शनके लिये गये। बादमें श्रीनेमिनाथ स्वामीकी श्याममूर्तिके दर्शन किये। मूर्ति पदमासन थी। अन्दर और भी अनेक मन्दिरोंके दर्शन किये। यहीं पर एक विशाल मानस्तम्भ है, जिसके दर्शन कर यही स्मरण होता है कि इसके दर्शनसे प्राणियोंके मान गल जाते थे, यह असम्भव नहीं। सब मन्दिरोंके दर्शन कर डेरे पर आ गये।
रात्रिके समय आरती देखने गये। एक पर्दा पड़ा था। पुजारी मन्त्रद्वारा आरती पढ़ रहा था। जब पर्दा खुला तब क्या देखता हूँ कि जगमग ज्योति हो रही है। चावलोंकी तीस या चालीस फूली-फूली पुड़ी, केला, नारियल आदि फलोंकी पुष्कलतासे वेदी सुशोभित हो रही है। देखकर बहुत ही आश्चर्य में पड़ गया। चित्त विशुद्ध भावोंसे पूरित हो गया। वहाँ दो दिन रहे। पश्चात् श्रीमूडबिद्रीको प्रस्थान कर गये।
___एक घण्टेके बाद मूडबिद्री पहुँच भी गये। यहाँ पर भी हमारे चिरपरिचित श्रीनेमिसागरजी मिल गये। यहाँके मन्दिरोंकी शोभा अवर्णनीय है। एक मन्दिर,
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