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पञ्चोंका दरबार
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अतः इन सबका उद्धार कर आप लोग यशोभागी हूजिये। मेरे कहनेका यह तात्पर्य नहीं कि इन्हें निर्णयके बिना ही जातिमें मिला लिया जावे। किन्तु निर्णयकी कसौटीमें यदि वे उत्तीर्ण हो जावें तो मिलानेमें क्या क्षति है....?' इतना कहकर मैं चुप हो गया। अनन्तर श्रीमान् प्यारेलालजी सिंघई, जो इस प्रान्तके मुख्य पञ्च थे और पञ्च ही नहीं, सम्पन्न तथा बहुकुटुम्बी थे, बोले-'आप लोग हमको भ्रष्ट करनेके लिये आये हैं। जिन कुटुम्बोंको आप मिलाना चाहते हैं उनकी जातिका पता नहीं। इन लोगोंने जो गोलालारोंके गोत्रोंके नाम बताकर अपनेको गोलालारे वंशका सिद्ध किया है वह सब कल्पित चरित्र है। आप लोग त्यागी हैं। कुछ लौकिक मर्यादा तो जानते नहीं। केवल शास्त्रको पढ़कर परोपकारकी कथा जानते हैं। यदि लौकिक बातोंका परिचय आप लोगोंको होता तो हमें भ्रष्ट करनेकी चेष्टा न करते। तथा आपने जो कहा कि कसौटीकी कसमें यदि उत्तीर्ण हो जावें तो इनकी शुद्धि कर लो, ठीक कहा। परन्तु यह तो जानते हैं कि कसौटी पर सोना कसा जाता है, पीतल नहीं कसा जाता। इस प्रकार यदि वे गोलालारे होते तो शुद्ध किये जाते। इनके कल्पित चरित्रसे हम लोग इन्हें शुद्ध करनेकी चेष्टामें कदापि शामिल नहीं हो सकते।'
इसके अनन्तर सब पञ्चोंमें कानाफूसी होने लगी तथा कई पञ्च उठने लगे। मैंने कहा-'महानुभावों ! ऐसी उतावली करना उत्तम नहीं, निर्णय कीजिये। यदि ये गोलालारे न निकले तो इनकी शुद्धि तो दूर रही, अदालतमें नालिश कीजिये। इन्होंने हम लोगोंको धोखा दिया है। इसके अनन्तर बाकलवाले तथा रीठीवाले सिंघई बोले-'ठीक है, मैं तो यह जानता हूँ कि जब ये हमारे यहाँ जाते हैं तब जैनमन्दिरके दर्शन करते हैं और निरन्तर हमसे यही कहते हैं कि हमारे पूर्वजोंने ऐसा कौनसा गुरुतम अपराध किया कि जिससे हम सैकड़ों नर-नारी धर्मसे वञ्चित रहते हैं। बाकलवालोंने भी इसीका समर्थन किया तथा रैपुरावाले लश्करिया भी इसी पक्षमें रहे। इसके बाद मैंने उस ८० वर्षके वृद्धसे कहा कि बाबा आपकी आयु तो ८० वर्षकी है और यह घटना पचास वर्षकी ही है, अतः आपको तो सब कुछ पता होगा। कृपाकर कहिये कि क्या बात है ?
__वृद्ध बोला-'मैं कहता हूँ, परन्तु आप लोग परस्परके वैमनस्यमें उस तत्त्वका अनादर न कर देना। पंच वही है जो न्याय करे। पक्षपातसे ग्रसित है उससे यथार्थ निर्णय नहीं होता तथा पंच वही है जो स्वयं निर्दोष हो, अन्यथा वह दोषको छिपानेकी चेष्टा करेगा। साथ ही रिश्वत न लेता हो और हृदयका विशाल हो। जो स्वयं
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