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मेरी जीवनगाथा
कूंजडीको चार आना देकर उसके बाकी नींबू एकदम अपने झोलेमें डाल लिये । वहाँ आपका यही अभिप्राय रहा होगा कि यदि कूंजड़ीने चोरीका मामला जान लिया तो इस बड़े घरकी औरत की इज्जतमें बट्टा लगेगा। मैं अपनी दुकानसे यह सब देख रही थी । मेरे मनमें आया कि इस गुप्त रहस्यको प्रकट कर दूँ, परन्तु फिर मनमें रहम आ गया कि जाने दो। परन्तु आप हृदयसे कहिये कि यदि कोई अनाथ या दरिद्र औरत होती तो क्या आप यह दया दिखाते ? नहीं, जरा विचारसे काम लीजिये, पाप चाहे बड़ा मनुष्य करे, चाहे छोटा | पाप तो पाप ही रहेगा, उसका दण्ड उन दोनों को समान ही मिलना चाहिये। ऐसा न होनेसे ही संसारमें आज पंचायती सत्ताका लोप हो गया है। बड़े आदमी चाहे जो करें, उनके दोषको छिपानेकी चेष्टा की जाती है और गरीबोंको पूरा दण्ड दिया जाता है .. ..यह क्या न्याय है ? देखो, बड़ा वही कहलाता है जो समदर्शी हो । सूर्यकी रोशनी चाहे दरिद्र हो, चाहे अमीर दोनोंके घरोंपर समान रूपसे पडती है, अतः आप इसकी प्रतिष्ठा नहीं रख सकते। यह अपने लोभसे स्वयं पतित है ।'
वह महाशय लज्जासे नम्रीभूत हो गये। मैंने उनसे कहा कि 'यह शरीफा लेते जाइये, परन्तु वह नीचे नेत्र करके कुछ न बोले और अपने घर चले गये । अन्तमें कूंजड़ी बोली- 'देखो, मनुष्य वही है जो अच्छा व्यवहार करे । हमारा पेशा शाक बेचनेका है, हम बात - बातमें गाली देती हैं। यदि आठ आना वस्तुका भाव हो और कोई चार आनेमें माँगे तब भी हम वस्तु दे देती हैं, परन्तु देती हैं आधा सेर। तराजू पर बाँट एक सेरका डालती हैं, परन्तु चालाकी से माल आधा सेर ही चढ़ाती हैं । यदि वह देख लेता है और कुछ कहता है - कम क्यों तौलती है ? तो पच्चीसों गालियाँ सुनाती हैं और यह उत्तर देती हैं कि भडुवेका भडुआ ! रुपयेका माल आठ आनेमें लेना चाहता है। खैर, परन्तु जो अच्छे आदमी होते हैं उनके साथ हमारा भला व्यवहार होता है। आपके व्यवहारसे मैं खुश हूँ । आपकी दुकान है। आपको उत्तमसे उत्तम शाक दूँगी। आप अब अन्य दुकानपर मत जाना ।'
मैं प्रतिदिन उसीकी दुकानसे शाक लेने लगा, परन्तु संसार सबको पापमय देखता है। वह मेरे इस कार्यमें नाना प्रकारके सन्देह करने लगा। पर मैं अन्तरंगसे ऐसा नहीं था ! मानसिक परिणामोंकी गति तो अत्यन्त सूक्ष्म है, किन्तु काय और वचनसे कभी भी मैंने उसके साथ अन्यथा भाव नहीं किया और न बुद्धि पूर्वक मनमें उसके प्रति मेरे विकृत परिणाम हुए। परन्तु ऐसा नियम है कि यदि कलारकी दुकानपर कोई पैसा भँजानेके लिये भी जावे तो
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