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हिया रसु | काम | बहा |
तास
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देवीदास-विलास (१६) सर्वतोमुख-सवैया चौबीसा बन्ध
| काम | बह्यौ | रुख | सोर | हरी | पर | नार | गई | पिया | तसु | राम रह्यौ मुख | मोर | घरी | घर | यार | भई | पति | पास | सिया जसु | धाम | लह्यौ सुख कोर | धरी | भर | थार | मई | सति | आस जिया | वसु | जाम | सह्यौ | दुख | घोर | करी | कर | तार | ठई | गति | तास
सवैया चौबीसा हिया रसु काम बह्यौ रुख सोर हरी परनार गई मति तास। पिया तसु राम रह्यौ मुख मोर घरी घरयार भई पति पास।। सिया जसु धाम लह्यौ सुख कोर धरी भरथार मई सति आस। जिया वसु जाम सह्यौ दुख घोर करी करतार ठई गति तास।।
(बुद्धिवाउनी, ५२) (१७) दोहा-धनिकबन्ध
.३० ३८ ९४.४१ विनु चि र का म
३१ २०३४ ही सम कि
जि.य में त मिल्पी |
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२५ २६ २७ २८ २९ ।
. दोहा-धनिकबंध जनम मरन वन महि भ्रमत सुहित रहित सुविसाल। रे जिय अंत मिल्यौ नहीं समकित बिनु चिरकाल।।
(जोग पच्चीसी, ६)
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