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(९४) सुरग' सम्पदा सहजै पावै, निश्चय मुक्ति मिलावै । ऐसी जिनवर पूजन सेती, जगत कामना चावै ॥३॥ 'बुधजन' मिलै सलाह कहैं तब तू वापै खजि' जावै । जथा जोग कौं अजथा माने, जनमे जनम दुख पावै ॥ ४ ॥
(२६८) चुप रे मूढ़ अजान, हमसौं क्या बतलावै ॥ चुप. ॥ टेक ॥ ऐसा कारज कीया तैनै जासो तेरो हान ॥ चुप. ॥ १ ॥ राग बिना है मानुष जेते भ्रात मात सम मान । कर्कश बचन बरै मति-भाई, फूटत मेरे कान॥ चुप. ॥ २ ॥ पूरव दुकृत किया था मैंने उदय भया ते आन । नाथ विछोहा २ हवा यात ३ पै मिलसी" या५ थान ॥चुप. ॥ ३ ॥ मेरे उर मैं धीरजे ऐसा पति आवै या ठान । तबही निग्रह है है तेरा होनहार उरमान ॥ चुप. ॥ ४ ॥ कहा अजोध्या कहाँ या लंका, कहाँ सीत कह आन । 'बुधजन' देखो विधि का कारज, आगममाहिं बखान ॥ चुप. ॥ ५ ॥
(२६९) तेरी बुद्धि कहानी, सुनि मूढ़ अज्ञानी ॥ तेरी. ॥ टेक ॥ तनक' विषय सुख लालच लाग्यौ नत" काल दुख दानी ॥ १ ॥ जड़ चेतन मिलि बंध भये इक, ज्यो पय९ मांही पानी। जुदा° जुदा सरूप नहिं माने, मिथ्या एकता मानी ॥ २ ॥ हूं तो 'बुधजन' दृष्टा ज्ञाता, तन जड़ सरधा आनी । ते ही अविचल सुखी रहेंगे होय मुक्तिवर प्राणी ॥ ३ ॥
(२७०) तू मेरा कह्या मान रे निपट अयाना ॥टेक॥ भव वन वाट माल सुत ढारा, बंधु पथिक२३ जन जान रे । इन” प्रीति न ला बिछुएँगे, पावैगो दुख खान रे ॥तू. ॥ १ ॥
१. स्वर्ग २. आसानी से पावेगा ३. के लिए ४. उस पर ५. नाराज हो जाता है ६. यथा योग्य ७. अयोग्य ८. जिससे ९. कठोर १०. बोलना ११. पाप १२. वियोग १३. इससे १४. मिलेगा १५. वह स्थान १६. कार्य १७. थोड़ा १८. काल १९. दूध में पानी २०. अलग अलग २१. अज्ञानी २२. रास्ते में २३. राहगीर २४. इनसे।
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