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मामू” भाग पडेसा (गुरराती अने हिंदी) માટે મળેલા કેટલાક અભિપ્રાયા.
( १ )
आपका ग्रन्थ ( आबू ) जैन समुदाय के लिए ही नह किन्तु इतिहास - प्रेमियों के लिए भी बड़े महत्त्व का है। आपने यह पुस्तक प्रकाशित कर आबू के इतिहास और वहाँ के सुप्रसिद्ध स्थानों को जानने की इच्छावालों के लिए बहुत ही बड़ी सामग्री उपस्थित की है । विमलवसही, वहां की हस्तिशाला, श्री महावीरस्वामी का मंदिर, ऌणुवसही, भीमाशाह का मंदिर, चौमुखजी का मन्दिर, ओरिया और अचलगढ़ के जैन मन्दिर का जो विवेचन दिया है, वह महान् श्रम और प्रकाण्ड पांडित्य का सूचक है । आपने केवल जैन स्थानों का ही नहीं, किन्तु हिन्दुओं के अनेक तीर्थों तथा आबू के अन्य दर्शनीय स्थानों का जो व्यौरा दिया है, वह भी बड़े काम की चीज़ है ।
आपका यत्न बहुत ही सराहनीय है । इस पुस्तक में जो आपने अनेक चित्र दिए हैं, वे सोने ( के स्थानों ) में सुगन्धी का काम देते हैं । घर बैठे आबू का सविस्तार हाल जाननेबालों पर भी आपने बहुत बड़ा उपकार किया है। आबू के विषय में ऐसी बहुमूल्य पुस्तक और कोई नहीं है । आपके यत्न की जितनी प्रशंसा की जाय थोड़ी है । श्री विजयधर्म
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