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________________ ५४८ अ. प्रा. जैनलेखसन्दोहे ( ५९४ ) पंचतीर्थी सं[ 0] १४३६ वैशाष(ख) वदि ११ भौ(भो)मे प्राग्वाटज्ञातोय श्रे० धणपाल भार्या पूजी पुत्र राणाकेन पितृ भ्रातृ रामा निमित्तं श्रीशांतिनाथपंचतीर्थी कारिता० प्र० श्रीरत्नप्रभसूरीणामुपदेशेन (५९५ ) पंचतीर्थी सं० १४३६ वर्षे वैशाष(ख) व० ११ भोमे प्राग्वाटज्ञा० व्य । चहथ भार्या चाहणदेवि(वी) पुत्र संग्रामसीहेन पित्रोः श्रेयसे श्रीआदिनाथपंच तीर्थी] का० प्रति........दु. श्रीविजयसिंहमूरिभिः ॥ (५९६ ) एकतीर्थी सं० १४४० पोप सुदि १२ प्राग्वाटज्ञा० व्यव नींदा भार्या सुमलदे पुत्र झाटाकेन पित्रोः श्रेयसे श्रीआदिनाथविवं कारि० प्र० पडाहडीय श्रीसोनचंद्रमरिभिः ।। छ ।। (५९७ ) एकतीर्थी सं १४४० वैशाखवदि ३ सोमे प्राबाटज्ञाती[य]........भार्या पालू श्रेयोर्थ सुत पाकेन श्री....नाथवि कारितं प्र.....गच्छे श्रीकमल चंद्रसूरिभिः ॥ ( ५९८ ) पंचतीर्थी संवत् १४ ४ ० वैशाख शुदि २ शनौ श्रीनाणकीयगच्छे ठकुर पाळ श्रोथ सुत पावन श्री. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003986
Book TitleArbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1994
Total Pages762
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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