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________________ अनुपूर्ति-लेखा : ५४९ गोत्रे व्य० भीमा भार्या सलषणदे पुत्र वइजलेन माति] पि[४] श्रेयसे श्रीवास(सु)पूज्यबिंब का० प्र० श्रीमहेंद्रसरि[भिः] (५९९ ) एकतीर्थी सं[०] १४ ४ १ वर्षे फागुणसुदि १० सोमे प्राग्वाटज्ञा० व्य० सहन भार्या गांगी पुत्र झांझा पांचा दापर प्रभृतिभिः पितृभा(भ्रातृ हेमानिमित्त श्रीशांतिनाथबिंब का० प्रतिष्टितं मडाहडीय श्रीपूर्णचंद्रसुरिपट्टे श्रीहरिभद्रसूरिभिः । ( ६०० ) पंचतीर्थी सं० १४४२ वैशाष(ख) सु. ३ सोमे ऊकेस(श) ज्ञातीय सा० वयरा भार्या वयजलदे पु० नाना भार्या साल्हू पु० हाला रतना डूंगर प्रभृतिभिः) मातृपितृश्रेयस श्रीआदिनाथपंचतीर्थी का० श्रीसंडेरगच्छे श्रीयशोभद्रसूरिसंताने प्र• श्रीसुमतिसूरिभिः ।। (६०१ ) एकतीर्थी सं० १४४५ वर्षे फागुण वदि ११ रवौ श्रीश्रीमालज्ञातीय महं लाषा भा० लाषणदे श्रेयोर्थ पौत्र कर्मणेन श्रीशांतिनाथबिंब कारितं श्री पू० श्रीलल(लि)तप्रभसूरीणामुपदेशेन प्र० श्रीसूरिभिः (६०२ ) पंचतीर्थी सं[0] १४ ४६ वैशाष(ख) वदि ३ सोमे प्राग्वाट ज्ञा० श्रे० घेता Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003986
Book TitleArbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1994
Total Pages762
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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