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________________ लूणवसतिलेखाः । १२७ देवकुमार | शुभ | ब्रह्म ( * ) देव । देवकुमार पुत्र वरदेव | पाल्हण | पुत्री देल्ही । आल्ही | ललतू | संतोस । ब्रह्मदेव | पुत्र बोहडि पुत्री तेज़ । वरदेव पुत्र कुंअरा । पाल्हण पुत्र । जला सोमा । पुत्री सीत् । कुंवरा पुत्र आंबड | पूनड | पुत्री | नीभल रूपल | श्रे० वरदेव यो कुमराकेन श्रीनागेंद्र गच्छे पूज्य श्रीहरि ( * ) भद्रसूरिशिष्य श्रीमद्विजयसेनसूरि प्रतिष्ठित श्रीनेमिनाथदेवालंकृता देवकुलिकेयं कारिता ॥ छ ॥ 1 ( ३०८ ) श्रीनेमिनाथदेवस्य पंच कल्याणकानि ॥ छ कार्त्तिक वढि १३ च्यवनः (नं) | श्रावण शुद्धि ५ जन्म ॥ श्रावण शुद्धि ६ दीक्षा अ ( आ )श्विन वढ़ि १५ ज्ञानं आषाढ शुद्धि ८ निर्वाणं ( ३०९ ) संडेरगच्छे संवत (त्) १७२८ वर्षे वैशाष ख) सुदि १४ भोमे लषतं भट्टारकी ११० देवसुंदरि (र) सूरि तत्शिष्य प्रोक्ष (प्रौढ) पंडितश्री सिवसुंदरजी चेला गांनसुंदर ठाणा ३ जात्रा सफल देहरी ५ नेम ( ३१० ) दोसी माधवलाल सुत सामला देवदत्त जात्रा सफल संवत (त्) १७२८ वर्षे वैशाष (ख) सुदि ७ शुक्रे Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003986
Book TitleArbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1994
Total Pages762
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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