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________________ १२८ अ. प्रा. जैनलेखसन्दोहे ( ३११ ) ई संवत् १३०२ फागु(ल्गुण सुदि ७ शुक्रे नाणास्थाने श्रे[0] कुलधर भार्या कवलसिरि(श्री) सुत शामजस भार्या थयहव सुत सावदेव लूणसीह देवजस भार्या पुनसिरि(पुन्यश्री) सुत धणपाल राजा भा०[रा]व(ज)मति सुत धरणिग सहदेव ( ३१२ ) सं० १३०२ फागु(ल्गु)णसुदि ७ शुक्रे नाणास्थाने श्रे[.] कुलधर भार्या कवलसिरि(श्री) सुत [शामजस भार्या थयहव सुत सा ]वदेव लूणसीह देवजस भा० पूनसिरि मुत] धणपाल राजा[भा०] राजमति [ सुत धरणिग सहदेव ]. ( ३१३.) ई० ॥ स्वस्ति श्रीनृपविक्रमसंवत् १२९३ वर्षे वैशाष(ख)सुदि १५ शनौ श्रीअर्बुदाचलमहातीर्थ(\) अणहिल्लपुरवास्तव्य श्रीप्रा(*)ग्वाट ज्ञातीय ठ० श्रीचंडप ठ० श्रीचंडप्रसाद महं० श्रीसोमान्वये ठ० श्रीआशाराज सुत महं श्रीमल्लदेव महं० श्रीवस्तुपा(*)लयोरनुज महं० तेजःपालेन कारित श्रीलुणसीहवसहिकायां श्रीनेमिनाथदेवचैत्ये जगत्यां चंद्रावतीवास्तव्य(*)प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० पासिलसंताने वीसल भार्या सांतू तत्पुत्र मुणिचंद्र श्रीकुमार सात कुमार पाल्हण । श्रीकुमार पुत्र वी(*)ल्हा आंब साउ आसधर । वोल्हा पुत्र आमदेव तत्पुत्र Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003986
Book TitleArbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1994
Total Pages762
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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