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________________ १२६ अ. प्रा. जैनलेखसन्दोहे ( ३०४ ) ई० ॥ संवत् १२९० वर्षे प्राग्वाटज्ञातीय मह० श्रीचंडप श्रीचंडप्रसाद श्रीसोम श्रीआसरा जान्वयसमुद्भुत महं० श्रीतेज[:]पालेन स्वसुत श्रीलूणसीह सुता गउरदेवि(वी) श्रेयोऽर्थ देवकुलिका कारिता ॥छ।। (३०५) ई संवत(त्) १३०२ वर्षे चैत्रसुदि १२ सोमे प्राग्वाटवंशे चंद्रावतीवास्तव्य श्रे० देदा पुत्र वरदेव भार्या पदमसिरि श्रेयो[s]र्थ श्रे० कुंअरा पुत्र आंवड पाल्हण ।। ई संवत् १३०२ वर्षे चैत्रसुदि १२ सोमे प्राग्वाटवंशे चंद्रावतीवास्तव्य कुंअरा भार्या लोहिणीश्राविकया कारिता ॥ (३०७) ॥ ई० ॥ स्वस्ति श्रीनृपविक्रमसंवत् १२९३ वर्षे वैशाखशुदि १४ शुक्रे अद्येह श्री अर्बुदाचलमहातीर्थे श्रीअणहिल्लपुरवास्तव्य श्रीप्राग्वाटज्ञातीय ठ० श्रीचंडप ठ० श्रीचंडप्रसाद महं० श्रीसोमान्वये ठ० श्रीआसराज सुत महं० श्रीमल्लदेव महं० श्रीवस्तुपालयोरनुन(*) महं० श्रीतेजःपालेन कारित श्रीलणसीहवसहिकायां श्रीनेमिनाथदेवचैत्ये जगत्यां चंद्रावतीवास्तव्य प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० सांतणाग श्रे० जसणाग पुत्र सोहिय । सवित । वीरा । सोहिय पुत्र आंबकुमार । गागउ । सावत पुत्र । पूनदेव । वाला । वीरा पुत्र Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003986
Book TitleArbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1994
Total Pages762
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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