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विमलवसतिलेखाः ।
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न्याती विनालियागोत्रे चौ० योधा पुत्र जगराज सहितेन यात्रा कृताः (ता) || नित्यं प्रणमतिः (ति)
( २०१ )
॥ संवत (त्) १९९७ वर्षे फ ( फा ) ल्गुन शुद्धि ५ भै ( भौ) म दिने श्री रुद्रपदलीयगच्छे श्रीभट्टारि ( ( ) क श्रीदेवसुंदर मरिशिक्ष (घ्य) वाचक. श्री विवेक सुंदरजित् शिक्ष (य) वा० श्रोहेमरत्न तत्सि (च्छिष्य वा श्री सोमरत्न तत्सिक्ष (च्छिष्य) वा० श्रीगुणरत बांधव ग० लक्ष्मीरल तिलोकचंद्र गोष्टि दुर्घटगोत्रे साह बील्हराज तत्पुत्र साह पूना उदयराज परिवारसहितेन संवसंयुक्तेन श्री आदिनाथ यात्रा कृता सफलमस्तु ।।
( २०२ )
रिपश्रीपूजि पे (खे) मासागर रिषश्रीहीरागर वीजामतकी चेली ....! साह गुणा छुप्पा गोदा पुत्र.... || संवत (त्) १६११ वर्षे पोषवदि ९ Hraat सुवीरा साघवी भांनां साह गुणा सा षे ( खे)ता साह बाहादूर साह लोला : बाई पे (खे) मा बाई हेमा बाई धांना बाई सोना बाई रूपा बाई मनोरथदे बाई लोची बाई रतो बाई सीता पूनां लाडमदे लाली रमा
( २०३ )
॥ श्रीअचलगच्छे श्रीउदयराज उपाध्या [य] शिष्य वा • विमलरंग पं० देवचंद्र पं[0] नग (ज्ञा) नरंग पं० तिलकराज सोमचंद्र हर्षरत
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