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________________ अ. प्रा. जैनलेखसन्दोहे कलशसूरीश्वरशाषा(खा)यां । पूज्य भटा(ट्टा)रकश्री ५ श्रीपद्मरत्नसूरीश्वरः श्रीअचलगढे । पं० उमंगविजयगणिशिष्य भाणविजयगणि ठांणि ५ युतेन चतुर्मासके स्थिता देलवाडके यात्रा सफलीकृता । श्रीरस्तु ( १९८ ) संवत(त्) १६०८ वर्षे मगसरवदि ११ भोमे रषि वीजामतीपाटश्रीः पी(खो)मराज रषि र कुंभ रष गेला जात्रा सफल संघवी सिंहदा स(सु)त संघवी श्रीमल भारजा(यां) सफलादे अंगजातक संघवी केला सह(इ)जा वास गाम अरणदा साहा पाथा अमरा अचला समरा लोला लाला भीला कवरा वस्ता कुला डाल जात्र सफलं....... ( १९९) ॥संवत् १६ १३ वर्षे वैशाष(ख)शुदि ८ दिने श्री(बृहद्गच्छे भट्टारक श्री ७ पुरण(पूर्ण)प्रभसूरि तत्सिक्ष(च्छिष्य) मुनिविजयदेवेन, यात्रा कृता सफला भवतु । (२०० ) ॥ सं[0] १५९७ वर्षे फागु(ल्गु)ण सुदि ५ श्रीखरतरगच्छे भ० श्रीजिनप्रभसरियन्वए(र्यन्वये) उ० श्रीआनंदराज सि०(शि०) उ० श्रीअभयचंद सि० (शि०) उ० श्रीहरिकलश सि(शि०)ष्य वा० श्रीसहजकलशगणि सि०(शि०) भक्तिलाभ मतिलाभ । भावलाभ परिवारसहितेन यात्रा कृता आदिनाथस्य सु(शुभं भवतु ॥ श्रीमाल Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003986
Book TitleArbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1994
Total Pages762
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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