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७९६ । अध्याय तेरहवां । मके लिये दृढ़ता दिलाता हुआ कहता हूं कि आप भविष्यमें सेठजीके आयुर्वेद प्रेमको अटल सिद्धान्तपर रेखायुक्त करते हुए अपने कर्तव्य पथपर आरूढ़ रहेंगे।
भवदीयजगन्नाथप्रसाद शुक्ल, प्रयाग।
व्हाला व्हेन ग० स्व० मगनबहेन माणेकचंद.
दिगम्बर जैन कोमना अग्रेसर धुरंधर दानवीर-तमारा पृज्य पिताभाई मागेकचंद हीराचंदना एकाएक दिलगीरी भन्ला मृत्यु समाचारथी हुँ घणीज दिलगीर थई छ.
जैन कोममां अने देशना मार्वजनिक कामोमां पोतानी जात महेनतथी प्रमाणिकपणे वेपारमा सम्पादन कीधेली लाखोनी दोलतनो दिलनी उदार लागणीथी सदुपयोग करनार महुम भाई माणकचंद हीराचंदना मृत्युथी-खंग्खर जैन कोमे तेमज देशनां केटलांक सार्वजनिक खातांओए एक महान दानवीर नरने पोतानी वच्चेथी गुमाव्यो छे
तमाग कुटुम्ब उपर आ अणधारेली आची पडेली आफतमां हूं, घणीज दिलगीर थई छं-दुःख सहन करवा इवर शांति आपो......
शुभेच्छक बहेन जमनाबाई नगीनदाम सकई, वालकेश्वर.
शेठजी,
श्रीमान शेठ माणेकचंदजीना अकस्मात देवलोक थयाना समाचार सांभळीने घणोज खेद कुदरती रीते थयो छे. आपना कुटुंबने तो एमनी पूरी खोट लागेज परंतु आखी जैन जनसमाज साथे देशना मोटा भागने तेमनी खोट थई पडी. एवा दानवीर 'पुरुषो क्या छे के आ खोट पूरी
पडे......
कदमलाल केशवराम नाणावटी, रतलाम
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