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________________ ५८] अध्याय दूसरा। ३-नवापुरा-यहां झांपाबाजार कापड़ बाजार, दि० जैन मंदिर, सेठ माणिकचंदकी पुत्रीके नामसे फुलकौर कन्याशाला व दि० जैन पाठशाला है। दि० जैनियोंकी वस्ती ज्यादा है। यहां गोकुल अष्टमीका मेला होता है । ४-इंद्रपुरा-इंद्र नामके अनावला ब्राह्मणने बसाया। ५-रुस्तमपुरा-अंग्रेजोंके दलाल रुस्तमजीने बसाया। यहां रुस्तम बाग, कबीरका मंदिर व मारकट है। ६-सगरामपुरा-सिवराम नामके अनावेल ब्राह्मणने बसाया। यहां नवसारी बाज़ार, व रोकड़िया हनुमान मशहुर है। तथा उसीका मेला भरता है। ७-सामपुरा-सामजी नामके अनावेल ब्राह्मणने बसाया। ८-रुद्रपुरा-रुद्र नामके अनावेल ब्राह्मणने बसाया। ९-रहमतपुरा-रहमतखाने बसाया । १०-खंडेरावपुरा-इसको खंडेराव मराठाने बसाया। यहां गणपती चौथका मेला भरता है । ११-नानपुरा-यहांपर घलंदों (पुर्तगालों)ने कोठी की थी। प्रसीद्ध स्थान-जहांगीर बंदर या वलंदा बन्दर, प्रिन्सेस बाग, कोर्ट, जेल, सार्वजनिक हाईस्कूल । १२-घास्तीपुरा-सुरतके गयासुद्दीन नवाबके नामसे प्रसिद्ध है। यहां आरमीनियन कबरिस्थान है। १३-सैय्यदपुरा-सैय्यद एद्रुसके नामसे । १४-रामपुरा-रामभाई नामके ब्राह्मणने बसाया। यहां अर्देसरः Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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