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________________ गुजरात देशके सूरत शहरका दिग्दर्शन । [ ५७ है, जहां परदेशी यात्री ठहरते हैं। नवापुरामें फुलवाड़ी नामक दशा हुँबड़ोंकी वाड़ी भी है। ऊपर दि० जैनियोंकी कुछ स्थितिका जो वर्णन किया गया है उससे पाठकोंको मालूम होगा कि सूरत नगरमें दि० जैन समाजका बहुत बड़ा प्रभाव था। वर्तमानमें इस सूरत शहरकी चौहद्दी इस प्रकार है-उत्तरमें वर्तमानमें सरतकी कतारगाम, पूर्वमें रेलवेकी सडक, दक्षिणमें ऊधनाके मजूरोंकी जमीन स्थिति। तथा पश्चिममें ताप्ती नदी है। पौने दो मील लम्बा सूरत शहर वसा है। यहां रेशम कीनखाब और जरीका काम अच्छा होता है । लकड़ी, चंदन व हाथीदांतपर सुन्दर कढ़ावका काम होता है। गुलामबावा मिल, पीपल्स मिल और स्वदेशी मिल सूत और कपड़े बनानेकी है। देशी कागज़ बनानेकी जमू मिया कागजीकी मिल है। इसके सिवाय कई कातनेके जीन व बांधनेके प्रेस चावलकी मिले व वरफ व सोडावाटर बनानेके कारखाने हैं। मीनाकारी व जवाहरातका जड़ावकाम भी अच्छा होता है। सूरतमें प्रसिद्ध मुहल्ले इस भांति हैं१-बेगमपुरा, बादशाह औरंगजेबकी बहन सूरतमें रही थी उसके नामसे बसा हुआ है इसमें नवावी महल, स्वदेशी मिल देखने योग्य है। २-सलाबतपुरा, सिलावतखाने बसाया यहां ईखदाव मुहम्मदी बाग है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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