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महती जातिसेवा तृतीय भाग । [७४५ आपने अपने जीवन में उद्यापन सहित जितने व्रत उपवास सहित किये उनकी गिनती इस प्रकार है
( १ ) १२३४के उपवास सं० १९५१ से ६० तक । ( २ ) कवलाहार व्रत । (३) कर्मदहनके १७५ उपवास । ( ४ ) भक्तामर स्तोत्रके ५१ उपवास । ( ५ ) सहस्रनाम स्तोत्रके १३ उपवास । (६ ) तत्वार्थसूत्रके १३ , ( ७ ) मुक्तावली व्रत ९ वर्ष तक । (८) चौवीस तीर्थकरोंके २४ उपवास । (९ ) अष्टान्हिका वृत ८ वर्ष तक । ( १० ) रविवार व्रत ९ वर्ष तक । ( ११ ) फलदशमी व्रत १० वर्ष तक । ( १२ ) चांद्रायण व्रत ६ वर्ष तक । ( १३ ) निर्वाण तला ३ दफे । ( १४ ) फूलवत । ( १५ ) दीपकवत । ( १६ ) फलव्रत । (१७) द्रव्यव्रत । (१८) देवव्रत ।
इतने व्रतोंके सिवाय आपने श्री सम्मेदशिखरजी, चंपापुरजी, पावापुरजी व राजगृही आदिकी यात्रा सं. १९५८ और सं. १९५६ में दान धर्म सहित की।
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