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महती जातिसेवा तृतीय भाग। [ ७४३ मूलचन्दजी कापड़ियाने निर्विघ्न सर्वका स्वागत, पूजा व सभाका प्रबन्ध आदि करनेमें खूब परिश्रम लिया।
___ श्रीमती कंकुबाई, ललिताबाई व कई श्राविकाश्रमकी बाईयोंके पधारनेसे स्त्रियोंमें भी खूब उपदेश हुआ। शरीरकी बीमारीके कारण श्रीमती मगनबाईजीका आगमन नहीं हुआ था। भारत दि० जैन महिला परीषदकी चौथी वार्षिक सभा शोला
___पुर निवासी सेठ जीवराज गौतमचंदकी महिला परिषदका धर्मपत्नी रतनबाईके सभापतित्वमें हुआ। चौथा वार्षिक २ बैठकें हुई। चार प्रस्ताव पास हुए। उत्सव । श्राविकाश्रमके लिये २५०) का फंड हुआ
जिसमें श्रीमती ललिताबाईने स्वयं १०१) दिये । यह बाईजी ऑनरेरी रूपसे श्राविकाश्रम खुलनेकी मितीसे बराबर काम कर रही हैं। आनी प्राइवेट कुछ सम्पत्ति है उसमें से यह रकम दानमें लगादी है। शोलापुरमें सेठ नाथारगंजी गांधीने २६०००) खर्च करके
एक मनोज्ञ मकान बोर्डिगके लिये बनवाया शोलापुरमें बोर्डिगके था तथा सेठ हीराचंद नेमचंद मंत्रीने ऐलक मकानका खुलना। पन्नालालजी जैन पाठशालाके लिये भी एक
मकान उसी हातेमें बनवा दिया था । इसीके उद्घाटनकी क्रिया फाल्गुण सुदी २ को इन्दौर निवासी रायबहादुर सेठ कस्तूरचंदजीके सभापतित्त्वमें हुई । शरीर ठीक न रहनेपर भी दानवीर श्रीमान् सेठजी बोर्डिंगके प्रेमवश पं० धन्नालालजी आदिके साथ बम्बईसे पहुंच गए थे। उत्सव सानन्द हुआ तब
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