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________________ ७३४ ] अध्याय बारहवां कास्केटमें एक सुन्दर मानपत्र सेठ कस्तूरचंदजीको अर्पित किया गया । सेठजीने इस अवसरपर २५०० ) स्याद्वाद महाविद्यालय बनारस के ध्रुवफंड में प्रदान किये। हज़ारोंके दानकी प्रथा चलाने में सेठ माणिकचंदजीकी उदारता ही कारण गजपंथाजी तीर्थका प्रबन्ध केवल सेठ रावजी नानचंद शोलापुरके ही आधीन था जिससे प्रायः शिकायते श्री गजपंथाजी रहा करती थीं । सेठजीने हीराबाग धर्मशातीर्थके लिये लामें ता० २७ अक्टूबर १९१३ को रावजी प्रबन्धकारिणी नानचंद, ब्रह्मचारी शीतलप्रसादजी और बालचंद्र सभा । रामचंद दोशी से सम्मति करके एक नियमावली व ११ महाशयोंकी सर्व प्रान्तीय प्रबन्धहीराचंद अमीचंद और कारिणी कमेटी बनाई, जिसके मंत्री शाह सभापति सेठ रावजी नानचंद नियत किये यह कमेटी सन्तोषकारक कर रही है 1 । जबसे तीर्थका काम इन्दौरके विद्याप्रेमी सेठ तिलोकचंद कल्याणमलने २ लाख संग्या विद्याप्रचार के लिये निकालकर विद्वानोंसेठजी इन्दौर में और की सम्मति ली थी कि किस काम में २ लाखका दान | लगावें तथा इसीलिये कार्तिक सुदी ८ वीर संवत् २४४० ता. ६ नवम्बर १९१३ गुरुवार को आपने खास २ भाइयोंको निमंत्रण कर बुलाया । बम्बईसे सेठजी भी पहुंचे थे। पं० गोपालदासजी, पं० अर्जुनलालजी सेठी, ब्रह्मचारी शीतलप्रसादजी आदि भी आए थे । बहु सम्मति से "तिलोकचंद जैन हाईस्कूल " का खोलना निश्चय हुआ व मैनेजिंग Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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