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महती जातिसेवा तृतीय भाग । [७३३ सेठ हीराचन्द गुमानजी जैन बोर्डिंग बम्बई में ता० २ सितम्बर
१९१३ को मणीलाल होकमचंद उदाणी हीराचन्द गुमानजी एम० ए० एलएल० बी० ( जो इसी बोर्डिगमें सभा। बोर्डिगके छात्र थे ) के सभापतित्वमें सभा
हुई, जिसमें सेठनी भी उपस्थित थे। उस समय ब्रह्मचारी शीतलप्रसादजीने जैन समाजोन्नतिके विषयमें व्याख्यान दिया । प्रमुखके विवेचनके पीछे सेठनीने सर्वको धन्यवाद दे सभा विसर्जन की । इस समय इस बोर्डिंग के छात्र सेठनीको बड़ी ही भक्तिसे देख रहे थे, क्योंकि जिस बम्बई स्थानमें ठहरनेको जगह नहीं मिलती थी वहां अनेकों छात्रोंने इस स्थान में सुखसे रहकर विद्याका लाभ किया था, इसी उपकारकी स्मृति छात्रोंकी भक्ति सेठजीपर कराती थी। वर्धा दिगम्बर जैन बोर्डिंगका वार्षिकोत्सव मिती आसोन वदी
५ सं० २४३९ ता० २१ सितम्बर वर्धा दि० जैन बोर्डिंग १३ को हुन धूमधामसे हुआ। वहांके व सेठजी। भाइयोंके प्रेमसे आकर्षित होकर सेठनी भी
पधारे थे । वहांके कार्यका निरीक्षण कर आप संतोषित हुए । मिती कार्तिक वदी १ ता० १६ अक्टूवर १३ की रात्रिको
हीराबाग लेक्चर हॉलमें सेठ कस्तूरचंद इंदौररायबहादुरको सन्मान निवासीको सरिसे रायबहादुरका पद और २५००) मिलनेके उपलक्षमें सेठ माणिकचंदजीके सभाका दान। पतित्वमें बम्बईके दिगम्बर जैनोंकी समाई। - ब्रह्मचारी शीतलप्रसादनी भी मौजूद थे। चांदीके
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