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________________ ७२२ ] अध्याय बारहवां। लाला सुलतानसिंह रईम देहलीके सभापतित्वमें प्रस्ताव ३ पास हुए (१) जो शिखरजीकी प्रतिष्ठामें रुपया आया था वह पर्वतरक्षा फंडमें मिलाया जाय (२) मुकद्दमा नं. २८८ चलाया जाय तथा इसका खरचा आधा २ तेरापंथी व बीसपन्थी कोठीसे लिया जाय (३) मुकद्दमेंके प्रबन्धके लिये १५ महाशयोंकी कमेटी बनाई जाय जिम्के मंत्री और खजान्ची सेठ हरसुखदाप्स हजारीबाग हों। यहांसे सेठजी बम्बई आए कि आपको दक्षिण महाराष्ट्र जैन सभाके पंद्रहवें वार्षिक अधिवेशनमें जानेकी फिक्र हुई। यद्यपि सेठजीका शरीर बहुत अस्वस्थ था । अब थोड़ासा भी परिश्रम करने व चलनेसे जिप्स पगमें चोट थी उसमें दर्द हो उठता था तौभी जाति प्रेम इस कदर था कि आप इधर उधर जाने आनेसे घबड़ाते नहीं थे । दूसरे द० म० सभा पर आपका अधिक प्रेम इसलिये था कि इस सभाके कार्यकर्ता सेठजीकी आज्ञानुसार काम करते व बहुत ही दिलचरपी दिखलाते थे। अतएव सेठनी कानपुरसे लौटते ही दक्षिणको रवाना हो गए। इस वर्ष सभाका पंद्रहवां वार्षिकोत्सव श्री - स्तवनिधि क्षेत्रपर सेठ रामचंद नाथा द०म० जैन सभाका गांधीके सभापतित्त्वमें हुआ। हमारे सेठजीने १५वां वार्षिकोत्सव सभापतिके प्रस्तावका अनुमोदन किया । स्तवनिधि। सभामें २१ प्रस्ताव पास हुए जिनमें मुख्य ये थे (१) लार्ड हार्डिगके उपसर्गसे बचनेपर हर्ष । इसका अनुमोदन सेठजीने किया (२) कोल्हापुर बोर्डिंगकी जमीनपर धर्मशाला व यति Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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