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________________ ७१८ | अध्याय बारहवां । है। तुम श्रीमानों को इनका अनुकरण करना चाहिये । " रात्रिको सभामें अंकलेश्वरके वीसा मेवाड़। दिगम्बर जैन पंचोंको निम्न लिखित जातीय प्रस्ताव करनेके उपलक्ष्य में धन्यवाद दिया गया। कन्याकी उम्र १० वर्ष हुए विना सगाई या लग्न करना नहीं तथा कन्यासे वरकी उम्र छ वर्ष बड़ी होना चाहिये जो इस प्रस्तावका भंग करे तो दोनों पक्षको ५०१) रु. दंड देना पड़ेगा " विद्यार्थियोंको इनाम दिया गया व बोर्डिङ्गके लिये करीब ३००) के फंड हुआ । यह बड़े आनन्दकी वात देखने में आती थी कि श्रीमती मगनवाईजीने जिम कामको अपने हाथ में भा०दि० जैन महि- लिया उसको व वरावर नियमित रूपसे ला परिषदका तृतीय करती चली आती थीं। जो भारतवर्षीय वार्षिकोत्सव । दिगम्बर जैन महिला परिषद सन् १९१०में श्री शिखरजीपर स्थापित हुई थी उसका तीसरा बार्षिकोत्सव श्री जम्बूम्वामीके मेले पर मथुरामें ता. १ नवम्बरसे ३ तक स्वर्गवासी राजा सेठ लक्ष्मणदासकी धर्मपत्नी चांदवाईके सभापतित्वमें बड़ी सफलतासे हुआ । कायदेके अनुसार प्रमुखाजीका भाषण होनेके पीछे श्रीमतो मगनवाईजी संचालिकाने रिपोर्ट सुनाई । ६ प्रस्ताव पास हुए । गंगादेवी मुरादाबाद, व लड़तीबाई इटावा आदिके व्याख्यान हुए । अध्यक्षाने श्राविकाश्रम बम्बईको १०) मासिककी सहायता दी व स्त्री शिक्षा फंडमें १००) का चंदा हुआ। Jain Education International For Personal & Private Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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