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महती जातिसेवा तृतीय भाग [ ७१७ यहां प्रति वर्ष श्राद्ध होता था जिसमें २०००) ब्राह्मणोंके जिमानेमें खर्च होते थे, महाराजने इस खचको बन्द करनेको १५०) मासिकके खर्च में ब्राह्मणोंके लिये एक बोर्डिंग खोले जानेका हुक्म किया है। व्यापार में धर्मादा जो कटे सो विद्यामें लगाना चाहिये तथा इस बोर्डिंगके मकानके लिये रजपूत बोर्डिंग जो बंधवानी है उसके लिये भी महाराजा साहब मुफ्त ज़मीन दे सकेंगे। सेठनीने सभापतिका हार तोरा आदिसे सन्मान किया। यहां विज़िटर
कमेटी बनी जिसमें ३० मेम्बर हुए । इनको अहमदाबाद ‘दिगम्बर जैन - पत्र मुफ्त दिया जाना बोर्डिंगका निश्चय हुआ । विद्यार्थियोंकी धार्मिक शिक्षामें वार्षिकोत्सव । परीक्षा लेकर इनाम दिया गया। उद्योगशील
सेठजी रतलाममें अनी लक्ष्मीके सदुपयोगको देखकर अहमदावाद पधारे । कार्तिक वदी २ को सबेरे अनेक परदेशी व शहरके जैन व अन प्रतिष्ठित पुरुषोंकी सभामें परीख लल्लूभाईके प्रस्ताव करने व सेट माणिकचन्दजीके समर्थनसे आनरेरी मजिस्ट्रेट रायबहादुर जीवनलाल प्राणजीवनदास लाखिया सभापति हुए । लल्लूभाई लमीचन्द सेक्रेटरीने रिपोर्ट सुनाई. इसमें कहा कि धर्म शिक्षा में ३१ में २९ पास हुए हैं व श्रीमती रूपाबाईने ३२००) में नवीन धर्मशाला बनवा दी है। फिर स्वयं सेठ माणिकचंदनीने रा० ब० लालशङ्कर उमियाशङ्करकी मृत्युके लिये शोक प्रदर्शक प्रस्ताव पेश किया । पं० कस्तूरचंद आदिके व्याख्यानोंके पीछे प्रमुखने अपने भाषणमें कहा कि सेठ माणिकचन्दजीने अनेक स्थानों में बोर्डिङ्ग खोलके तुम्हारी कौमके ऊपर भारी उपकार किया
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