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अध्याय बारहवां । सेठ माणिकचंदनी जैन जातिमें हरएक विद्योन्नतिके काममें
अग्रगामी रह थे। शोलापुरकी मंडलीने गायन वर्ग आसोज सुदी १० के दिन एक जैन गायन प्रारंभ । समाज वर्ग स्थापित किया उसका समारंभ
दानवीर सेटजीके द्वारा बडे समारंभसे हुआ था। शोलापुरसे आकर सेठजी रतलाम पधारे। अपने स्थापित
बोर्डिङ्ग का प्रथम वार्षिकोत्सव मिती आसोन रतलाम बोर्डिंगका सुदी १४ को सबेरे ९ बजे एक भव्य मंडप्रथम वार्षि- पमें यहां के दीवान रायबहादुर पं० वृजमोहन कोत्सव। बी. ए. एल एल. बी. के प्रमुखत्वमें बड़े
समारोहके साथ हुआ। सेठनीने सभापतिका प्रस्ताव किया । सेक्रेटरी लल्लूभाई प्रमानंदने वार्षिक रिपोर्ट पढ़ी, जिसमें बताया कि अब १९ हमड़, ५ खंडेलवाल, १ बघेरवाल ऐसे २५ छात्र दाहोद गढ़ी, कुशलगढ़ आदिके हैं जो धर्मशिक्षा सिवाय चौथी इंग्रेजी क्लास तक के हैं। पं० कस्तूरचन्दनी व मूलचन्द किसनदासजीके भाषगके पीछे दीवान साहबने अपने भाषणमें बहुतसी उपयोगी बातों में यह भी कहा कि जैनियोंमें जीमन वगैरहमें बहुत द्रव्य उड़ाते हैं तथा सुना गया है कि यहांकी ५ जातियोंमें जो ज्योनार होनेवाली है उसमें २ लाख रुपया खर्च हो जायगा, इस रकमको विद्यादानमें खर्चना जरूरी है । वापदादोंके रिवाज़ फेरनेके लिये हिम्मतकी जरूर है । इसका ताजा दृष्टांत यह है कि महाराज रतलामके
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