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________________ महती जातिसेवा तृतीय भाग । [ ७१५ रहनेवाले थे | अब इसका काम अच्छी तरहसे चल रहा है । सन् १९१५ - १६ की परीक्षामें रत्नकरंड श्रावकाचार में ८-१० छात्रोंने परीक्षा दी। जिसमें प्राय: सबने अच्छे नम्बर पाये । मगनबाई और कंकुबाईजीने ता० ३की रात्रिको एक सार्वजनिक सभा की " जिसमें स्त्रियोंके कर्तव्य " पर व्याख्यान देकर गाली गाना व होली खेलने का त्याग कराया । यहां एक महेश्री रईस सेट जमनालाल हैं जिन्होंने मारवाडी विद्यालय व बोर्डिङ्गको चला रक्खा है, ४०००० से ऊपर अपनी रकम प्रदान की है। इनकी धर्मपत्नीने १०१) मदद श्राविकाश्रम बम्बईको दी । ता. १९ अगस्तको बम्बई से कोल्हापुर निवासी श्रीयुत कलापा बाबाजी सावर्डेकर और श्रीयुत बंबई में परदेशगमनमें चिंतामणि नागेन्द्र पत्रावली ऐसे दो दि० जैन विद्यार्थी बम्बई जे जे आर्ट स्कूल में चित्रकलाका पठनक्रम समाप्त करके विशेप सभा । शिक्षण लेनेके लिये साडिनी स्टीमर द्वारा इटाली देश के फ्लारेन्स शहरके लिये रवाना हुए। उस समय हीराचंद गुमानजी जैन बोर्डिंगके छात्रोंने अभिनन्दन किया ब ता. १४ को इनके सन्मानमें १ दावत दी व रात्रिको लल्लूभाई प्रेमानंद परीख के सभापतित्वमें सभा करके सन्मान किया । तत्र प्रमुखने दोनों छात्रोंको श्री रत्नकरंड श्रावकाचार ग्रंथ भेट किया और कहा कि परदेशमें जिन धर्मपर पूर्ण श्रद्धा रखना । इनके भेजने में दक्षिण महाराष्ट्र सभासे वेलगाम में जो फंड हुआ था उसके सिवाय सेट माणिकचंदजी और सेठ नाथारंगजीने भी छात्रवृत्तियें दीं । For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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