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________________ महती जातिसेवा तृाय भाग । [७१९ सेठजीके पास जबलपुरसे पत्र आया कि जिस बोर्डिंगके बनानेके लिये सिंघई नारायणदासजी सेठजीको हर्षके २००००) दे गये थे उसके मकान बननेका समाचार। मुहूर्त आश्विन वदी ५ को दीवान बहादुर सेट वलभदासजीके द्वारा बड़े समारोहके साथ हुआ। शहरके प्रतिष्ठित जन पधारे थे तथा उस समय धर्मपत्नी नागयणदासजीने कई सौ रुपये दान भी किया । जैन मंदिर व संस्थाओंके सिवाय १००) हितकारिणी हाईस्कूल ५०) अंजुमन ( मुसल्मान ) हाईस्कूल व ५० मिशन .हाईस्कूलको, भी दिये । सेठजी इस पत्रको पढ़कर बहुत ही आनन्दित हुए क्योंकि जिस बातकी आपकी भावना थी वह बात अपनी सफलताके निकट आने लगी। वीर सं० २४३९ मिती पौष कृष्ण ३ से ९ मी तक ता० २६ दिसम्बर १९१२ से १ जनवरी १९१३ बम्बईमें रथोत्सव तक बम्बई में रथोत्सवका समारंभ व मुम्बई तथा प्रान्तिक सभाका दि० जैन प्रान्तिक सभाका बारहवां अधिवे १२ वां शन बड़े ममारोहके साथ लखनऊ निवासी वार्षिकोत्सव । बाबू अजितप्रसादजी एम. ए. एलएल. बी. के सभापतित्वमें हुआ। इसके प्रबन्धमें सेट माणिकचंदजीने खास तौरस उद्योग किया। इस सभा श्रीमान् न्यायवाचस्पति पं० गोपालदास, पं० अर्जुनलाल सेठी, कुंवर दिग्विजयसिंह, बाबू जुगमन्दिरलाल एम० ए०, ब्रह्मचारी शीतलप्रसादजी आदि पधारे थे जिससे धर्मोपदेशका अच्छा समागम रहा था । कुल ९ प्रस्ताव Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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