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________________ ७१२ ] अध्याय बारहवां भागलपुरसे १६ कोस मंदार हिल नामके स्टेशनसे १ मील मंदारगिरि नामका पर्वत है। यहींसे श्री वासपूज्य मंदारगिरि क्षेत्रका स्वामीकी मुक्ति हुई है, चरण पादुकाएं हैं उद्धार व ५००) कुछ दिनोंसे जैनियोंने जाना आना बंद की मदद । कर दिया था । बाबू देवकुमारजी आरा निवासीकी खास प्रेरणासे सेठजीने इस क्षेत्रका सुप्रबन्ध करानेको बाबू बंशीधर इन्सपेक्टरको भेजा। बंशीधरजीने सेठ हरनारायणजीके दृढ़ प्रयत्नसे इसका प्रबन्ध हाथमें लिया और बालचंद मुनीमको ता० १६ दिसम्बर ११ को नियत कर कोठी कायम कर दी । जबसे इसका प्रवन्ध बराबर चला आरहा है। सेठ हरनारायणनी प्रबन्धकर्ता हैं। बारामतीनिवासी सेट तलकचंद कस्तूरचंदकी ओरसे पहाड़के मंदिरके जीर्णोद्धारका काम हो रहा है । सेठजीके जीवन में इस सिद्धक्षेत्रका उद्धार होना भी एक महा पुण्यदायक बात हुई है। शोलापुर जिलेके दिगम्बर जैनी वास्तवमें उदारचित्त हैं। श्रीमान् सेठ गुलाबचंद रेवचंदगुंजेटी वालोंने चतुरबाई श्राविका अपनी पूज्य माता चतुरबाईके स्मरणार्थ विद्यालय शोलापुर ११०००) दान करके श्राविकाओंके लाभार्थ उद्धाटन। एक श्राविका विद्यालय खोलनेका निश्चय किया व जिसका मुहूर्त श्रावण सुदी ३ गुरुवार ता० १५ अगस्त १९१२ को ठीक करके दानवीर सेठ माणिकचंदजी और उनकी सुपुत्री मगनबाईजीको निमंत्रित किया। श्रीमान् सेठजी अपनी सुपुत्री व श्राविकाश्रमकी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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