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________________ महती जातिसेवा तृतीय भाग । [७११ खराब था जिसकी लिखित व जबानी शिकाशिखरजीकी तेरापंथी या सेठजीके पास वर्षोंस आती थीं । जब . कोठीका व चंपापुर- लाट साहब शिखरजीपर आए थे तब सेठ जीका उद्धार । हुकमचंद आदिने इसके प्रबन्धार्थ एक कमेटी बना दी थी जिसके मंत्री बाबू धन्नूलालजी व कोषाध्यक्ष सेठ परमेष्ठीदासजी नियत हुए थे । इन्होंने उपाय किया पर काम हाथमें नहीं आया । तब सन् १९१० में शिखरजी पर तीर्थक्षेत्र कमेटीके अधिवेशनक समयपर यह प्रस्ताव कमेटीने पास किया कि वह कमेटी एक माहके भीतर प्रबन्ध हाथमें ले ले नहीं तो अदालती कार्रवाई की जावे। इस कमेटीने फिर भी शिथिलता की। यकायक बाबू छन्नूलाल जोहरी-प्रवन्धकर्ता तेरापंथी कोठीका देहान्त हो गया। तब सेठजीने उसका प्रबन्ध अति शीघ्र होना उचित समझकर इन्सपेक्टर बाबू वंशीधरको कलकत्ते भेजा। वहांपर यह एक मास ठहरे। तब ता. ३ जुलाई १९१२को कलकत्ताके दिगम्बर जैनियोंकी एक पंचायत हुई, जिसमें १५ महाशय कलकत्तके प्रबन्धार्थ नियत किये। तब बाबू वन्नूलालने वंशीधरजीको लिखित पत्र देकर तेरापंथी कोठी शिखरजी और चंपापुरीका चार्ज लेनेको भेजा । बंशीधरजीने ता. ९ व १० जुलाईको चंपापुरीजीका चार्ज लिया। फिर ७ जुलाईसे २० तक शिखरजीकी कोठीका अधिकार हाथमें लिया, तबसे प्रबन्ध दोनों स्थानोंका ठीक चल रहा है। चंपापुरी नीका प्रबन्ध सेठ हरनारायण भागलपुर तथा तेरापंथी कोठीमें बाबू बंशीधर मैनेजर हैं। हिताब आदि अब ठीक रहता है। इन दोनों कोठियोंके उद्धारमें सेठजी और उनके सहायक लाला प्रभुदयाल नीने बहुत उद्योग किया । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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