________________
६९६ ]
अध्याय बारहवां । ष्ठीदासजीको प्रेरणा करके आप उद्योग कराते रहे । इन लोगोंने बंगाल सर्कारसे लिखापढ़ी की तथा ता. २८ दिसम्बर १९.११ के दिन कलकत्तमें मुख्य २ भाईयोंकी एक कमेटी नियत की। सेठनी सेठ बालचंद रामचंद और बालचन्द्र नेमचन्द्र शोलापुरवालोंके साथ कलकत्ते पहुंचे और ता. २८को विचार किया गया । बाबू धन्नूलालने भरोसा दिया कि बंगाल सर्कारसे बातचीत हो रही है, आप चिंता न करें। सेठजी यहां २ दिन ठहरे और श्वेताम्बरी भाईयोंसे मिलापकी भी चेष्ठा की परंतु कोई सफलता न हुई। ता. ३०की रात्रिको कि जव महाराज पंचम जार्ज और महारानी मेरी कलकत्ते पधारे थे, नए दि जैन मंदिर में सेठ बालचंद रामचंदके सभापतित्वमें सभा हुई । सेठजीने हरीभाई देवकरणके घरानेकी बहुत प्रशंसा की। इस सभामें बादशाहकी सुख शांतिका प्रस्ताव पास हुआ। ब्रह्मचारी शीतलप्रसादजीने “ जैन धमकी महिमा" पर व्याख्यान दिया । इस वर्ष यद्यपि सेठजी आवश्यक कार्यवश बाहर जाते थे पर
पहलेकी अपेक्षा शरीरकी स्थिति बहुत सेठजीके शरीरकी निर्बल हो गई थी जिससे आप बहुधा घंटा स्थिति व रुचि । दो दो घंटा सवेरे मंदिरजीसे आकर कौचपर
लेट जाते थे व रात्रिको भी दीवानखाने में थोड़ा बैठकर लेट जाया करते थे। परंतु अपने नित्यकर्मको छोड़ा नहीं था। चौपाटी चैत्यालयमें प्रक्षाल पूजा व स्वाध्याय करना तथा हीराबाग धर्मशाला व दूकानपर जाना बिलकुल बंद नहीं किया था।
___ आपको अपने आधीन धर्मकार्योके सम्हालकी बहुत बड़ी चिंता थी, अतएव अपने परोपकारी मित्रोंको अपना हाल
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org