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________________ महती जातिसेवा तृतीय भाग । [ ६८७ सिर्फ १५० पुरुष और ७ स्त्रियां ही स्वाध्याय करने के योग्य हैं । बस आपने वागड़ प्रान्तको सुशिक्षित बनानेके लिये वागड़ के नाके रतलाम नगर में बोर्डिंग खोलनेका निश्चय करके उसमें नियम रक्खा कि ८ वर्ष से ऊपर के लड़के वागड़ व उसके आसपास के मुख्यतासे डूमड़ भरती हों । मिती आश्विन सुदी १२ गुरुवार ता० ५ अक्टूबर १९११ को मुहूर्त नियत करके बाहरसे बहुत लोगोंको बुलाया । मंदसोर, दाहौद, उज्जैन, इन्दौर आदि स्थानोंके भाई आए । आमोद वाले सेठ हरजीवन रायचंद को आपने खास तौर से आनेको लिखा सो सेठजीसे ट्रेन में मिल गये, एक साथ रतलाम पहुंचे । सभा के लिये एक बड़ा मंडप बांधा गया था । सवेरे ही १००० स्त्री पुरुष हाजिर हो गए थे। पहले कुंम स्थान और सरस्वती पूजन हुई उस समय प्रभावना में नवीन सामायिकपाठ बांटा गया था। दीवान साहब आदि राज्यकारवारी आनेके बाद ठीक ९ बजे रतलाम नरेश मोटर में आए। तुर्त कार्रवाई शुरू हुई । मास्टर दीपचंद उपदेश कने मंगलाचरण किया | फिर सेठजीने एक सुन्दर मानपत्र बड़े सन्मानसे भेट किया जिसको पंडित कस्तूरचंद उपदेशक मालवा प्रान्तिक समाने पढ़कर सुनाया । सेठ मूलचंद किसनदासजी कापड़ियाने बोर्डिङ्गका हेतु व नियमावली बताई और कहा कि इस बोर्डिंग २५०००) नकद व के निमित्त सेठ माणकचन्दजीके कुटुम्बयोंके १२५) मासिक की तरफ से २५०००) नकद व करीब १२५ ) मिलकतका दान । मासिककी मिलक्त प्रदान की जाती है । सेठ हरजीवन रायचन्द्र व सेठ कस्तूरचन्दके For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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