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६६८ ] अध्याय बारहवां । जैनधर्मशालामें दानवीर सेठजीके सभापतित्वमें दो सभाएं हुई जिनमें ब्र० शीतलप्रसादजी और पंडित अर्जुनलाल सेठीके बोर्डिंगकी आवश्यकता पर व्याख्यान हुए । ता० २९की सभामें प्रकट किया गया कि प्रयागनिवासी लाला सुमेरचंदकी धर्मपत्नी "सुमेरचंद दिगम्बर जैन बोर्डिङ्ग हाउस" स्थापित करनेके लिये २५०००) पच्चीस हज़ार प्रदान करती हैं। इस बातके सुनते ही सर्व सभाने कोटिशः धन्यवाद दिया। उसी समय १५ महाशयोंकी एक प्रबन्धकारिणी सभा बनाई गई जिसके सभापति दानवीर सेठ माणिकचन्दजी, उपसभापति लाला शिवचरणलालजी, कोषाध्यक्ष लाला मूलचन्दनी, मंत्री बाबू जगमन्दिरलाल, उपमंत्री बाबू बच्चूलाल व धर्मोपदेशक बाबू ऋषभदासजी नियत हुए तथा तय हुआ कि कोई बंगला शीघ्र तलाश कर बोडिंग खोलनेका प्रबन्ध किया जायगा । सेठजीने सब वात पक्की कर दी । फिर आप बंगलोंको देखनेके लिये निकले । एक बंगला ठीक भी किया पर उसको खाली होनेसे विलम्ब था ।
यहां ३ सभाओंमें जैन विद्वानोंके भिन्न २ विषयोंके व्याख्यान हुए तथा सेठजीने प्रदर्शनी और राष्ट्रीय सभाके अधिवेशन भी देखे । जमना तटपर प्रदर्शनीका अद्भुत ठाठ था । यहांपर एक अंग्रेन हवाई विमान लाया था जिसपर लोगोंको बिठाकर आकाशमें दूरतक फिराता था । फिर सुगमतासे उतार लाता था। एक दिन सेठ हुकमचंदनीने १२५) दिये और जहानपर बैठकर आकाशकी सैर की। प्रयागमें श्रीमती मगनबाईजीने स्त्रियोंको उपदेश दिया व श्राविकाश्रमके लिये १५०) का चंदा किया।
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