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महती जातिसेवा तृतीय भाग | [६४३ लिये यत्र तत्र जैन बोर्डिङ्गहाउस नियत किये, पाठशालायें स्थापित कराई, यात्रियोंके सुभीतेके लिये तीर्थक्षेत्रोंका सुधार किया, धर्मशालायें निर्माण करवाई, आपको इस पतित पावन जैन धर्म व धर्मात्माओंसे अत्यन्त प्रीति है । आपके इस सुकर्तव्यके लिये हम सम्पूर्ण जन व जैन मतावलम्बी आपको शुद्ध अन्तःकरणसे कोटिशः धन्यवाद देते हैं और ईश्वरसे प्रार्थना करते हैं कि आप जैसे धर्मात्माओंको सदा दीर्घायु बनावे ।
भागगयो मनको तिमिर, भयो परम आनन्द । पुण्य उदय दर्शन भये, शीतल माणिकचन्द ।।२।।
____ आपका कृपाभिलाषीमाघ शुक्ला १५ सं. १९६६ दामोदरदास मंत्री,
जैनधर्मप्रवर्धिनी सभा, लखनऊ यहांकी पाठशाला व औषवालयको देखकर सेठजीने प्रसन्नता प्रकट की। तथा इन कार्योंके प्रबन्धार्थ एक नियमावली व प्रबन्धकारिणी सभा बनवा दी तथा अयोध्या, रत्नपुरी और सहेठ महेठके. प्रबन्धार्थ कमेटी बनानेकी प्रेरणा की। भाईयोंने चैत्रमें होनेवाली रथयात्रामें बनाना स्वीकार किया।
यहां जैनसभाके मंत्री लाला दामोदरदासजी शास्त्रज्ञाता, प "रोपकारी धर्मात्मा हैं। श्रीमती मगनबाईने कन्याशालाके लिये २०) मासिकका चंदा कराया । मूलचन्द किसनदासजीने वेश्यानृत्य, बाललग्न आदि कुरीति निवारण पर उपदेश दिया । भाईयोंने आगामी प्रबन्ध करना स्वीकार किया । वास्तवमें सेठनी ऐसे परोपकारीकी सुपुत्री ऐसी शिक्षा प्रचारिका जैन स्त्री समानके सुचारमें दत्तचित्ता
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