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गुजरात देशके सूरत शहरका दिग्दर्शन । [ ४१
सुदी १० उल्लिखित है। चंदावाड़ीके पास दूसरा बड़ा मंदिर है जिसमें बहुतसे प्रतिबिम्बोंका समूह है। उनपर संबत व प्रतिष्ठाकारक भट्टारकों का नाम इस भांति है
सं० १४९४ श्रीअभयचंद्र
सं० १४९९ नंदीश्वरकी मूर्ति, भट्टारकका नाम नहीं है।
सं० १५०७ श्रीभट्टारक विद्यानंदि ।
सं० १५१३ श्रीमट्टारक
विद्यानंदि ।
भुवनकीर्ति ।
मल्लिभूषण ।
जिनचंद्र
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,,, १६४१
१५२३
१५४४
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१५४८
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,, १६४७,,
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१६५१ ,, १६६६,, ,, १६७९
,, १६८४
१६८४
१७१३
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१६४१ "
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वादिचंद्र |
गुणकीर्ति ।
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वादिभूषण । वादिचंद्र ।
महीचंद्र |
महीचंद्र |
कुमुदचंद्र ।
महीचंद्र |
मेरुचंद्र |
१७२२
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मन्दिर के नीचे के भाग में विराजमान चन्द्रमभुकी
प्रतिमापरका लेख |
“ V० ॥ संवत् १६७९ वर्षे शाके १५५३ श्रीमूलसभ नन्दीसंघे सरस्वतगछे बलात्कारगणे कुन्दकुन्दान्वये भट्टारक श्रीपद्मनन्दिदेवाः
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