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________________ महती जातिसेवा द्वितीय भाग [ ५८७ राष्ट्रीय भाषा करना चाहते हैं उनका अवश्य यह निश्चय होना चाहिये कि हिन्दी ही इस सम्मानके योग्य है । गुजरातकी दिगम्बर जैन कौम शिक्षा में बहुत पीछे पड़ी हुई थी, इसको विद्याकी ओर उत्तेजना देनेवाले दानवीर सेठ माणिकचंदजी थे । बोरसद निवासी मेवाड़ा जातिके परीख लल्लुभाई प्रेमानंददास एल० सी० ई० सेठनीके धार्मिक कामोंमें पूर्ण मददगार थे और अब भी हैं। बम्बई प्रान्तिक सभा के सहायक महामंत्रीके सिवाय अहमदाबाद बोर्डिंगके मंत्रित्वका काम बहुत ही दिलसे करते थे । आप इन्कमटैक्स ऑफिस में अच्छे पदपर थे । सकरिने इस समय इनको काम चलाऊ डिप्टी कलेक्टरका पद दिया तब सेठनीने इनके परिश्रम व उन्नतिका दृष्टान्त और गुजराती बालक लेवें इसलिये वैशाख वदी ३ ता० ८ अप्रैल १९०९ को हीराबाग में एक आम सभा आनरेबल मि० गोकुलदास कहानदास पारेख के सभापतित्वमें की। इसमें जैन अजैन बहुतसे विद्वान् व प्रतिष्ठित पुरुष शामिल हुए । सेठ हीराचंद नेमचंद शोलापुरने इनके जीवनका हाल कहते हुए वर्णन किया कि सन् १९०३ में यह एल० सी० ई० की परीक्षा में पास हुए तथा अपने परिश्रम और योग्यता से केवल ५ वर्षमें ही ऐसे ऊंचे पदको प्राप्त हुए हैं। फिर शेठ माणिक-चंदजीने कहा कि इस उच्च पदपर पहुंचने का कारण Baat प्रमाणिकता और सत्यता है इनको बहुत प्रमाणिकपने से ही जोखमदारीके काम मिले पर यह आज तक लल्लूभाई परीख के गुणकी कदर । | Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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