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महती जातिसेवा द्वितीय भाग। [५८५ २७ मार्चको होगा ऐसी सूचना पाकर बहुतसे भाई परदेशसे आए थे जैसे मैसूरसे श्रीयुत अनंतराजय्या, वर्धमानैय्या, दाबणगिरीसे ब्रह्मप्पा आणा तवनप्पा आदि। ता० २७ को सवेरे कुंभ ले र बोडिङ्गके स्थानपर जाकर सरस्वती पूजन हुई । व बोर्डिङ्गमें प्रवेश होनेवाले छात्रोंको रत्नकरंड श्रावकाचारका पाठ दिया गया। श्री पायसागर स्वामी विदरेने स्थापन विधि की । शामको ५ बजे मंडपमें एक मारी सभा की गई जिसमें नगरके प्रतिष्ठित पुरुष भी आए। अध्यक्ष स्थान धारवाड़ जिलेके कलेक्टर मि० हडसन साहबने ग्रहण किया। रा० रा० चौगले बी० ए० एलएल० बी० वकील बेलगामने इंग्रेजीमें द० म० जैन सभा व बोर्डिङ्ग खोलनेका उद्देश्य बताया व साहब बहादुरको प्रार्थना की कि बोर्डिङ्ग खोले। अध्यक्ष महोदयने 'बोर्डिंग खोला गया ऐसा जाहर करके कहा कि “ जैन लोग प्राचीन कायदेके अनुसार विद्याकी तरफ जो ध्यान दे रहे हैं सो स्तुत्य है। विद्या में जैन लोग आगे बढ़े ऐसी मेरी उत्कट इच्छा है।" कई भाषण हुए। शीतलप्रसादजोने जैनियोंकी प्राचीन गुरुकुल प्रद्धतिको समझाया तथा बोर्डिङ्ग उसीका कुछ अनुकरण है ऐसा बताया। बेलगांवके धरणप्पा सेठीने कलेक्टरका आभार माना। बादशाह एडवर्डकी तीन जय बोलकर सभा समाप्त हुई। रात्रिको पायसागर स्वामी विदरेके सभापतित्वमें सभा हुई
तब शीतलप्रसादनीने श्रावकके षटकर्मपर सेठजीका १०००) कहते हुए धर्म शिक्षमकी आवश्यकता कालेनके दान हुबली बो० । छात्रोंके लिये बतलाई तथा इस बोर्डिंगरूपी.
वृक्षको द्रव्यरूपी पानीसे सींचनेको कहा। रा० सा० चौगले व अन्य के समर्थन होनेपर उदारचित्त भाइयोंने इस भांति दान किया।
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