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________________ महती जातिसेवा द्वितीय भाग [५६७ जपुरसे देवीसहायजी भी आए थे और धन्नूबाबू व परमेष्टीदासके साथ लाट साहबसे मिलेथे . परंतु बातचीतमें कोई निश्चित बात नहीं कही तथा रात्रि में फिर बुलाया । ... पावागढ पर्वतपर तांबेकी खानके मौकेको देखने बम्बईके गवर्नर ता० २४ जनवरीको आए थे तब दिग० पावागढ़में तांबेकी जैनियोंने पर्वतरक्षाकी प्रार्थना की थी, उसके खान खोदनेकी उत्तरमें विचारनेको कहा था। तीर्थक्षेत्र आज्ञा। कमेटीने भी एक प्रार्थना पत्र भेजा था उसका उत्तर बम्बई गवर्नरके चीफ सेक्रेटरीने नं० ६३३६ ता० २४ जूनमें लिखा कि सेठ माणिकचंद महामंत्री ती० क्षे० कमेटीकी अर्जी ता० २४ मईके उत्तर में सूचित किया जाता है कि सर्कार पावागढपर खान खोदनेकी इजाजत नहीं देती है ( The Government not allowing prospecting or mining operations in the Pawagarh Hill. ) सेठनीके आकुलित चित्तको पावागढ़ सिद्धक्षेत्रकी चिंताकी निवृत्ति होनेसे कुछ शांति हुई । परंतु तुरत ही कलकत्तेसे खबर आई कि महासभाके सभा पति आरा निवासी बाबू देवकुमारजी एक भारी शोकमें रुग्ण अवस्थामें कई मास रहकर अंतमें सेठजी। अपने धर्ममित्र ब्रह्मचारी नमिसागरसे मरणके ६ घंटे पहले समाधिमरण लेकर ता० ५ अगस्त १९०८की रात्रिको ११ बजे स्वर्गधाम पधारे । आपकी अवस्था केवल ३२ वर्षकी ही थी। इतनी उम्रमें ही आपने महा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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