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________________ ५६६ ] अध्याय ग्यारहवाँ । बम्बई प्रान्त में इस विषयका विरोध सीमासे बाहर देखकर बम्बई गवर्नरने प्रसिद्ध प्रतिष्ठित जैनियोंसे इसका बम्बई गवर्नरका कारण पूछा तो सबने यही कहा कि लोग आश्वासन पत्र । सर्कारकी बंगले बनने की आज्ञासे घबड़ा गए. हैं। तब बम्बई गवर्नरने बंगाल सर्कार से मालूम करके जून मास १९०८ में एफ पत्र वीरचंद दीपचंद सी. आई.. ई. को लिखा, सो अखबारों में प्रसिद्ध हुआ जिसका यह आशय था कि जब कि आपकी जातिने राजासे कोई ऐसा प्रबन्ध नहीं किया है कि जिससे आप पहाड़ खरीद लेवें या जिससे राजा उसपर बंगले जनवानेका विचार छोड़ देवे । वर्तमानमें जब तक पहाड कोर्ट आफ वॉर्डसके आधीन है इस प्रश्नको रोक देना ठीक समझा जाता है (The question should be dropped at any rate so long as the property remains under the Court of Wards at present ) इससे आप देखेंगे कि सर्कार जैन जातिके धार्मिक विचारोंको हानि पहुंचाना नहीं चाहती है। यह मामला जमींदार और जैनजातिका है और आशा होती है कि परस्पर योग्य फैसला जल्द हो जायगा और जैन जाति सदा राजभक्त होगी जिस राज्यके द्वारा उसने उन्नति प्राप्त की है 1 इस पत्रको देखकर सेठ माणिकचंदजीको कुछ और भी सन्तोषकी मात्रा हुई पर बंगाल गवर्नमेन्टकी कोई आज्ञा न निकलने से पूरा भरोसा नहीं हुआ कि बंगले बनेंगे या नहीं | ता० ११ जुलाईको छोटे लाटने जैनियोंके दि० और स्वे० प्रतिनिधियोंसे फिर कलकतमें मुलाकात की। इस समय बम्बई से शीतलप्रसादजी और फिरो - For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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