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________________ महती जातिसेवा द्वितीय भाग । अभ्यास वीगेरे बधी सगवडो पुरी पाडनारी एक बोर्डिंग स्कुल आपना कैलासवासी भत्रिजा शेठ प्रेमचंद मोतीचंदना नामथी अमदावादमा ३४०००) ना खरचे बंधावी आपी स्वधर्मी भाईओ प्रत्येनी शुद्ध लागणी अने धर्म कृत्यमा भारे उदारता प्रगट करी छे. मुंबाई जेवी अलबेली नगरीमां कोईपण कोमने उपयोगी थई पडे तेवी भव्य धर्मशाला (हीराबाग ) बांधवा पाछळ दोढ लाख रुपीआ धर्मादा खरच्या छे, जेमां एक धर्मादा स्वदेशी दवाखानू, पण उघाड्यं छे; ते आपनी गरीबो प्रति दयावृत्तिनी लागणी प्रगट करे छे. वळी हालना राज्यकर्तानी गया वर्षनी वर्षगांठनी खुशालीमां नामदार ब्रिटिश सरकारे जे मान अने मरतबाथी वगर प्रयत्ने 'जस्टीश ओफ धी पीस (जे. पी.)नो मानवंतो खीताब आपने नवाजेश को छ ते आपणी दिगंबर जैन कोममां आप पहेल वहेला मेळववा भाग्यशाशाली थया छो, अने सरकारे जे आपनी स्वधर्म सेवानी योग्य पीछान करी ते माटे अमो मायाळु सरकारनो आ तके उपकार मानवानी अमारी फरज समजीये छीये. छेवटमां आपनी आ आवी धर्म, दया, स्वधर्मी प्रति उत्तम सेवाओ माटे तथा विद्या अने विद्वान प्रति आपनी सदैव शुभ लागणीओ माटे अमो प्रार्थना करीये छिये के आप आवा हजारो खीताबो भोगववाने दीर्घायुषी थाओ, अने परमात्मा आपने आपयां उत्तम कार्यों करवाने सदैव सन्मति आपो, एवं ईच्छी आ मानपत्र आपने अर्पण करीये छीये ते मानपूर्वक स्वीकारी आभारी करशो एवी आशा राखीये छीए. तथास्तु. चांपानेर (पावागढ ) । ता:१७-२-१९०८ । आपना सद्गुण चाहनारा-, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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