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महती जातिसेवा द्वितीय भाग । [५२१ १००१) राजा फूलचंद, लश्कर १०००) पंचान, बनारस १२००) , सादरा (गुजरात) २०००) ,, वांसवाड़ा, जिला उदेपुर २५००) ,, ईडर २०००) मित्रसेन जंबूप्रसाद सहारनपुर २१००) बद्रीदास दरबारीलाल इच्छाराम क० अम्बाला १०-१५ दिनके भीतर सेठ माणिकचंदने अपनी दानवीरता
व उदारताके असरसे करीब दो लाख सेठजीके उद्योगसे रुपयेका चंदा कर लिया। जो स्वयं २ लाखका चंदा। दान करता है वह दूसरोंसे भी दान करा
सक्ता है । सेठजीके वचनोंको उलंघन करना सहज बात नहीं थी। जिससे जो कहते वह मान लेता था। सेठजी बड़े न्याय चित्त, विचारवान, गंभीर, सहनशील, परिश्रमी तथा धर्म व जातिकी सेवार्थ अपने तनको विदेश भ्रमण आदिके अनेक कष्ट देकर भी न्योछावर करनेवाले थे। यह इन्हींकी दम थी जो बातकी बातमें इतना भारी चंदा हो गया । वृद्ध लोग कहते हैं कि जहां तक हमारा होश है इतना भारी चंदा कभी नहीं हुआ था । जो तार तीर्थक्षेत्र कमेटीने ता. १८ जून को बड़े लाट साहबकी
सेवामें भेजा था उसका जवाब जी. बी. बड़े लाटका पत्र । एच. फेल डिपुटी सेक्रेटरी गवर्नमेन्ट आफ
इन्डियाने अपने पत्र नं० १७४९ ता. १६ जुलाई १९०७ को सेठनीके पास इस आशयका भेना कि “ छोटे
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