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महती जातिसेवा द्वितीय भाग । [ ५१७ गृहस्थधर्मपर प्रभावशाली व्याख्यान दिया तथा प्रति मास सभा करनेका निश्चिय किया गया ।
सूचना |
सेठ माणिकचंदजी हर समय पवित्र पर्वतराजके उपसर्ग लाट साहेबके आनेकी दूर करनेकी फिक्र में ही रहते थे । ताः २८ जूनको खरजे में तीर्थक्षेत्र कमेटीका अधिवेशन करना विचार कर सर्व मेम्बरों व खास २ भाइयोंको बुलाने के लिये खास पत्र लिखे तथा पत्रों में प्रगट कराया कि छोटे लाट अगस्त मासमें शिखरजी जावेंगे सो सर्व पंचायतों से प्रतिनिधि भेजे जाने चाहिये ।
सेठ माणिकचंदजी बम्बईसे शीतलप्रसादनीको लेकर खुरजे जाने वाले थे इसी बीचमें बाबू जबलपुर बोर्डिङ्गका देवकुमार आरानिवासीसे भी आपने प्रार्थनाउत्सव और १०००) की कि आप मेरे साथ चले । पहले जबलपुर का दान | बोर्डिङ्गके वार्षिकोत्सव में शरीक हों फिर खुरजा चलें। बाबू साहब सकुटुम्ब थे और दक्षिणकी यात्रामें बहुत दिन लगा चुके थे वहां भ्रमणकर मूडबिद्रीके प्राचीन ग्रंथ भंडारकी दुरुस्ती कराई । मूडबिद्री व कारकल में संस्कृत पाठशालाका ध्रुव फंड कराया आदि अनेक उत्तमोत्तम कार्य किये तथा बम्बई में भी एक बड़ा सरस्वती भंडार खोलनेके लिये श्रुतपंचमी के दिन सभा द्वारा उद्योग किया था, जिसमें बाबू साहबने ५ वर्ष के लिये २५०) वार्षिक तथा सेठ माणिकचंदजीने १२५) वार्षिक स्वीकार किया था । सेठजी श्रीमती मगनबाई ललिताबाई आदिके साथ जबलपुर पधारे । ता०
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