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________________ ५१६] अध्याय ग्यारहवां । जैनियोंके लिये प्रकट की कि डि. क० के पास ४५० से अधिक तार पहुंचे व लोगोंने समझाया भी तब भी विचार नहीं बदला है। ता० २५ जूनके पहले२ भी अर्जियां पंचायतोंसे जावें । सेठजीके मनमें रात्रिदिन अब शिखरजीकी रक्षाका ही ध्यान था। आपने ता० ९ जूनको बम्बईमें शिखरजीके हीराबागमें एक आमसभा एकत्र की और निमित्त सभा। खुर्भावाले सेठ रामस्वरूपजीको सभापति नियत किया। बम्बईसे जो डेप्युटेशन गया था उसका हाल दोशी पानाचन्द रामचंदने कहा । बड़े लाट व छोटे लाट व स्टेट सेक्रेटरीको अर्जी भेजनेके लिये और एक डेप्युटेशन जानेके लिये कमेटियां बनीं। इस कमेटीने अर्जी तैय्यार करके तीनों जगह बम्बई सभाकी ओरसे ता. १४ जूनको अर्जी भेजी । सेठजीने जैनमित्रमें प्रगट कराया कि ताः २५ जून तक और भी पंचायतें ऐसी अर्जियां या तार भेजें। ता. १८ जूनको फिर भी हीराबागमें एक सभा हुई उसकी मम्मतिसे भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटीकी तरफसे सेठजीने एक तार बड़े लाट महोदयकी सेवामें भेना, जिप्सका आशय यही था कि उस पूज्य पर्वतपर मांस मद्य शिकारादि नहीं हो सक्ते इससे छोटे लाट साहबसे सुचना की जावे कि वे इस प्रस्तावको बंद रक्खें । आरानिवासी बाबू देवकुमारजी दक्षिणकी यात्रा करके बम्बई आए थे। ताः २० जूनको दूसरे बम्बईमें स्त्री सभा। भोईबाड़ेके जिन मंदिरमें बाबू साहबकी धर्मपत्नी गुलाबदेईकी अध्यक्षतामें एक स्त्रीसभा हुई उसमें श्रीमती मगनबाईजीने धर्मशिक्षा और Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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