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________________ महती जातिसेवा द्वितीय भाग । [ ५१५ बहुत आवश्यक्ता बताई। उसी समय दातारोंने ९८४) का दान किया, जिसमें सेठ नवलचंद ने अपने पुत्रके विवाहोत्सव में २५०) व सेठ माणिकचंदजीने श्रीमती मगनबाईके नामसे १२५ ), छोटी पुत्री ताराबाई के नामसे १२५), व फुलकौरकी माता के नामसे १२९) इस तरह ३७५) दान किये । फिर सर्व भाई कुंभ कलश लेकर नवापुरा आए । शाला के मकान में सरस्वती पूजन होकर २५ कन्याएं भ -रती जिनको णमोकार मंत्र के साथ२ पाठारम्भ कराया गया । ता० २५ मईको मधुवनमें सबेरे ७ बजे हजारीबाग के डि क०मि० वेरी साहब से जैनी लोग मिले । डिप्टी कमिश्नरकी कलकत्ते से बाबू धन्नूलाल आदि, बम्बई से मुलाकात | लाला प्रभुदयाल, पानाचंद रामचंद्र आदि, फीरोज़पुरसे लाला देवीसहाय, जैपुरसे सेठ सर्वसुखदास आदि व खे० लोग राय बद्रीदास आदि एक साथ मिले । जैनियोंने बहुत कुछ समझाया पर साहबने यही कहा कि बंगले बनना निश्चित हो गया है। मंदिरोंके पास थोड़ी २ जगह . छोड़ दी जायगी । आपलोग कल पहाड़पर सबेरे मिलें | वहां बाबू धन्नूलाल आदि ८ महाशय पहुंचे। साहबने टोंकोके कुछ पास ही बंगले बनाने की बात कही । सबके होश दंग हो गए। इन लोगोंने ३ मासकी मोहलत मांगी पर साहब ने कहा कि अगस्त महीने में छोटे लाट यहां आकर देखेंगे तब पट्टे दिये जायेंगे। इससे दो मासके भीतर जो जैनियोंको करना हो कर लेवें । इस भयानक खबर - की सूचना कमेटी के महामंत्री - सेठजीको की गई। सेठजी महा दुःखी हुए। आपने ता० २ जूनको जैनमित्रमें एक सूचना सर्व For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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