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५१४ ] अध्याय ग्यारहवाँ । की जिसमें यह भी बताया कि कलकत्तेके अटार्नी बाबू धन्नूलालने डिप्टी कमिश्नर साहबसे मिलकर समझाना स्वीकार किया है। अन्य जैनी वकील भी ता० २५ को पहुंचे तथा सर्व भाई तन मन धनसे सहायता करनेको तयार हो जावें । मई मासहीमें सेठजीके भ्राता सेठ नवलचंदके सुपुत्र ताराचंदका :
विवाह सूरतमें शाह किसनदास अमीचंदकी सेठ नवलचंदके पुत्र पुत्री मानकौरसे बड़ी धूमधामसे हुआ। हाथी ताराचंदका विवाह। पर बरातका वरघोड़ा निकला था। पं०
__ . पासू गोपाल शास्त्रीने जन पद्धतिसे विवाह कराया था। सेठजीका सर्व कुटुम्ब सूरत गया था । जातिके कई जीमनवार हुए थे। इस समयपर ता० २३ मई सन् ०७ को चंदावाड़ी में सबरे ९
बजे सेठ हरीभाई देवकरणके प्रपौत्र सेठ फुलकौर कन्याशा- हीराचंदजी शोलापुर निवासीके सभापतित्वमें लाकी स्थापना। एक महती सभा हुई। मूलचंद किसनदास
कापड़ियाने कहा कि आज नवापुरामें सेठ माणिकचंद हीराचंदजीकी परलोकवासिनी पुत्री फुलकोरके स्मरणार्थ कन्याशाला खोली जाती है, जिसके लिये उक्त सेठजीने ५०००) एक मुश्त प्रदान किये व दो वर्ष तक जो कमी रहे उसको पूरा करना स्वीकार किया है । इसमें व्यवहारिक शिक्षाके साथ जैनधर्मकी शिक्षा प्रदान की जावेगी । १५ महाशयोंकी एक प्रबन्धकारिणी कमेटी बनाई गई । सेठ चुन्नीलाल झवरचंद तथा बाबू शीतलप्रसादने बालकोंकी अपेक्षा कन्याओं की शिक्षाकी
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