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अध्याय ग्यारहवां । साथ मेयो कालेन, दयानंद अनाथालय, हिंदू औषधालय तथा जैन औषधालय देखा । दयानंद अनाथालयमें ६३ कन्या व १३० बालक देखे । इनको कपड़ा बुनना सोना, दरी व निमार बनाना, कुर्सी टेबुल बनाना व रंगना आदि सिखाया जाता है। यहां कपड़ेके जूते अच्छे बनते हैं जो १)में आते हैं । दयानंद प्रेस व हाईस्कूल भी हैं। तैयार अनाथ इनमें काम सीखते या पढ़ते हैं । रात्रिको श्री जिन मंदिरजीमें सभा हुई । पं० नरसिंहदासजीने मंगलाचरण किया तब शीतलप्रसादनीने विद्योन्नति पर भाषण दिया । सेठनीने १०) जैन व १०) हिंद औषधालयको दिये । ता० २ को चलकर ता. ३ अप्रैलको उदयपुर आए। यहां ५ तक ठहरे। स्टेशनपर जैनियोंने बड़ी धूमधामसे स्वागत किया । प्रतिदिन खंडेलवालोंके मंदिरजीमें शीतलप्रसादजीके व्याख्यान होते थे । यहां सेठजीकी भावज रूपाबाईजीने दो वर्षसे एक जैन
___ पाठशाला खुल्या दी थी, जिसका कुल खर्च उदयपुर पाठशाला- बम्बईसे मिनवाती थीं। पाठशालाकी सेठको ६०००) जीने परीक्षा लिवाई । काम ठोक देखकर
____ ता० ३ की सभा सेठजीने सबको जाहर किया कि रूपाबाईजी प्रेमचन्दके स्मरणार्थ इस पाठशालाके लिये ६०००) प्रदान करती हैं। अब इसके व्याजसे इसका खर्च चलेगा। रुपया हीराचन्द गुमानजी जैन बोर्डिंगकी ट्रस्ट कमेटीके आधीन रहेगा तथा पाठशालाका नाम “सेठ प्रेमचंद मोतीचंद दिगम्बर जैन पाठशाला उदयपुर" रहेगा । सर्वने सानन्द स्वीकार किया। सेठनीकी रायसे पाठशालाका स्थान
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