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अध्याय दशवां। पर धनके दानके साथ शरीर व वचनसे भी दिनरात मिहनत करनेवाले बहुत कम दीख पड़ेंगे। इसी अद्भुत गुणके कारण जैन जनता सेठजीको बात बातपर याद करती है तथा अब इनके स्थानको पूर्ण करनेवाला कोई दीखता नहीं है।
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